कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, भारत सरकार की ओर से 'आतंकवादी' घोषित किए गए अर्शदीप सिंह उर्फ़ अर्श डाला को कनाडा पुलिस ने ओंटारियो प्रांत से गिरफ़्तार किया है.
पिछले महीने कनाडा के मिल्टन टाउन में हुई गोलीबारी की एक घटना के बाद कनाडाई पुलिस ने दो लोगों को गिरफ़्तार किया. कथित तौर पर इन्हीं में से एक की पहचान अर्श डाला के रूप में की गई है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारतीय एजेंसियों ने पिछले साल जुलाई में कनाडा सरकार से डाला की गिरफ़्तारी की अपील की थी, लेकिन इसे नकार दिया गया था.
अब विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि भारत डाला के प्रत्यर्पण की अपील करेगा.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करें27 वर्षीय अर्श डाला भारत के पंजाब में मोगा ज़िले के गांव डाला के मूल निवासी हैं.
दरअसल, अर्श डाला का नाम तब चर्चा में आया था, जब 2018 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को खालिस्तान समर्थकों की जो सूची सौंपी थी, उसमें डाला का नाम भी शामिल था.
जुलाई 2023 में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने अर्श डाला को कथित रूप से खालिस्तान समर्थकों से संबंध के कारण 'आतंकवादी' घोषित किया था.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 'भारत को उम्मीद है कि भारत में मुकदमे का सामना करने के लिए डाला को प्रत्यर्पित किया जाएगा.'
मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को बयान जारी किया, "हमने 10 नवंबर से कनाडा के घोषित अपराधी अर्श सिंह गिल उर्फ़ अर्श डाला की गिरफ़्तारी से जुड़ी ख़बरें देखी हैं. वह ख़ालिस्तान टाइगर फ़ोर्स के चीफ़ हैं. हमारी जानकारी के मुताबिक, ओंटारियो कोर्ट में ये मामला सुनवाई के लिए लिस्ट हुआ है."
उन्होंने कहा कि अर्श डाला हत्या, हत्या की कोशिश, उगाही, टेरर फ़ंडिंग समेत कई आतंकी गतिविधियों जैसे 50 से अधिक मामलों में नामज़द हैं. मई 2022 में उनके ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था.
मंत्रालय के अनुसार, "डाला को भारत ने साल 2023 में आतंकवादी घोषित किया था. जुलाई 2023 में भारत सरकार ने कनाडा की सरकार से डाला की गिरफ़्तारी की अपील की थी. हालांकि, कनाडा ने ये निवेदन ख़ारिज कर दिया था. इस मामले में अतिरिक्त जानकारी साझा की गई थी."
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी (एमएलएटी) के तहत कनाडा को अलग से भी एक निवेदन भेजा गया था जिसमें अर्श डाला के संदिग्ध पते, भारत में उनके वित्तीय लेन-देन, चल-अचल संपत्ति, मोबाइल नंबर से जुड़ी जानकारियां इत्यादि वेरिफ़ाई करने के लिए कहा गया था.
बयान के मुताबिक़, इस बारे में सारी जानकारियां कनाडा को जनवरी 2023 में ही मुहैया करा दी गई थीं. दिसंबर 2023 में कनाडा के न्याय मंत्रालय ने केस में अतिरिक्त जानकारी मांगी थी. इसका जवाब इसी साल मार्च में भेजा गया.
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मौजूदा गिरफ़्तारी के बाद भारतीय एजेंसियां प्रत्यपर्ण की अर्ज़ी देने की तैयारियां करेंगी.
भारत में अर्श डाला के आपराधिक रिकॉर्ड और कनाडा में भी इसी तरह की अवैध गतिविधियों को देखते हुए, ये उम्मीद की जा रही है कि उन्हें भारत प्रत्यर्पित कर दिया जाएगा.
करीब पांच महीने पहले मोहाली की सीबीआई/एनआईए कोर्ट के आदेश के बाद एनआईए टीम ने अर्श डाला के घर के बाहर विभिन्न मामलों में उसके लगातार फ़रार रहने को लेकर नोटिस चिपकाया था.
फ़िलहाल अर्श डाला के पैतृक गांव डाला स्थित घर पर ताला लगा हुआ है.
गांव के लोगों के मुताबिक़, अर्श डाला एक साधारण परिवार से आते हैं. लोगों ने बताया कि अर्श डाला के घर पर पिछले 6-7 साल से कोई नहीं आया है.
गांव के लोगों के मुताबिक, कभी-कभी पुलिस के जवान अर्श डाला के घर की जांच करने आते हैं या फिर यहां एनआईए की छापेमारी होती है.
अर्श डाला के ख़िलाफ़ पहला मामला साल 2016 में दर्ज किया गया था.
पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक़, अर्श डाला के ख़िलाफ़ पहला मामला 2016 में एक बैंक गार्ड से हथियार छीनने के आरोप में दर्ज किया गया था.
वहीं पंजाब पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक़, अर्श डाला साल 2018 से कनाडा में रह रहे हैं और कथित तौर पर खालिस्तानियों के साथ मिलकर 'भारत विरोधी गतिविधियों' में लिप्त हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अर्श डाला 2018 में कनाडा चले गए थे, जहां उनकी मुलाक़ात खालिस्तान टाइगर फ़ोर्स के प्रमुख हरदीप सिंह निज्जर से हुई, जिसके बाद वो उनके साथ मिलकर काम करने लगे.
एनआईए के मुताबिक़, अर्श डाला का रिश्ता कनाडा स्थित खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर से था. एनआईए ने डाला के ख़िलाफ़ 'रेड कॉर्नर नोटिस' जारी किया था.
एजेंसी के अनुसार, अर्श डाला हरदीप सिंह निज्जर के साथ मिलकर पंजाब में 'टार्गेटेड किलिंग' की वारदातों को अंजाम देते थे.
जून 2023 में कनाडा के सरे में गुरुद्वारा साहिब की पार्किंग में कुछ अज्ञात लोगों ने हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
हरदीप सिंह निज्जर को भी भारत ने ख़ालिस्तान की हिमायत करने वाला "आतंकवादी" करार दिया था.
कनाडा ने इस हत्या के लिए भारत सरकार के अधिकारियों और एजेंटों पर आरोप लगाए थे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफ़ी गिरवाट देखने को मिली है.
अर्श डाला को 'आतंकवादी' घोषित करने के साथ भारत के गृह मंत्रालय का यह भी दावा था कि हरदीप सिंह निज्जर के 'आदेश' पर अर्श डाला अपने साथियों को भारत के प्रमुख व्यापारियों और नेताओं को 'मारने' के निर्देश देते थे.
डाला की कथित भारत विरोधी गतिविधियों का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने अर्श डाला के कनाडा सरकार से उनके प्रत्यर्पण की भी मांग की थी.
अर्श डाला के ख़िलाफ़ पंजाब पुलिस ने रंगदारी और हत्या के करीब 67 मामले दर्ज किए हैं.
एनआईए ने एक संप्रदाय से जुड़े कुछ प्रमुख लोगों की हत्या के आरोप में अर्श डाला के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए हैं.
पुलिस ने डाला के साथियों को जनवरी 2023 में लुधियाना में एक इलेक्ट्रीशियन की हत्या, मानसा में एक पेट्रोल पंप पर ग्रेनेड हमला और 'वारिस पंजाब दे' संगठन के नेता गुरप्रीत सिंह हरि नौ की हत्या में भी शामिल होने का आरोप लगाया है.
इन घटनाओं में कई आरोपियों को पंजाब पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस विंग ने गिरफ़्तार किया था और दावा किया था कि इन लोगों ने अर्श डाला के कहने पर ये कार्रवाई की थी.
पुलिस के मुताबिक, अर्श डाला के ख़िलाफ़ मोगा, फरीदकोट, मानसा, संगरूर, मुक्तसर, बरनाला, तरनतारन, बठिंडा, मोहाली में फिरौती मांगने और हत्या आदि के मामले दर्ज हैं.
अर्श डाला के नाम की चर्चा मीडिया में तब भी हुई थी जब उनके पैतृक गांव में वरिष्ठ कांग्रेस नेता बलजिंदर सिंह बल्ली की अज्ञात हथियारबंद लोगों ने उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी थी.
बलजिंदर सिंह बल्ली गांव डाला के नंबरदार थे.
इस हत्या के बाद अर्श डाला ने सोशल मीडिया पर एक कथित पोस्ट शेयर कर इसकी ज़िम्मेदारी ली थी.
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