डिप्थीरिया एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण है जो मुख्य रूप से गले, नाक और त्वचा को प्रभावित करता है। यह कोरिनेबैक्टीरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया से होता है, जो संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में फैलने वाली बूंदों के माध्यम से अन्य लोगों तक पहुंचता है। डिप्थीरिया बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है और समय पर इलाज न होने पर गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं, यहां तक कि मृत्यु का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं इसके लक्षणों और बचाव के उपायों के बारे में।
डिप्थीरिया के सामान्य लक्षण– गले में खराश, जो धीरे-धीरे बढ़ती है
– 101°F (38.3°C) या उससे अधिक का बुखार
– ठंड लगना और थकान
– गले में सूजन
– टॉन्सिल पर मोटी, भूरे रंग की झिल्ली (स्यूडोमेम्ब्रेन) का बनना
– सांस लेने और निगलने में कठिनाई
– नाक बहना और आवाज में बदलाव
– गंभीर सांस लेने में परेशानी
– हार्ट फेलियर
– नर्व डैमेज
– पैरालिसिस
– मृत्यु
1. टीकाकरण: डिप्थीरिया से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। डीटीपी (डिप्थीरिया, टिटनेस, पर्टुसिस) वैक्सीन बच्चों को बचपन में दी जाती है, जो डिप्थीरिया से सुरक्षा प्रदान करती है। वयस्कों को भी हर 10 साल में बूस्टर डोज लेना चाहिए।
2. स्वच्छता का ध्यान रखें: खांसने या छींकने के बाद नियमित रूप से हाथ धोएं।
3. संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें: डिप्थीरिया संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचना चाहिए और खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को ढककर रखें।
4. सामान साझा करने से बचें: दूषित वस्त्र, कपड़े, बर्तन जैसी वस्तुएं साझा न करें, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
डिप्थीरिया एक गंभीर रोग है, लेकिन टीकाकरण और सावधानियों के जरिए इसे रोका जा सकता है। यदि आपको या आपके किसी परिचित में डिप्थीरिया के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें।
चिकित्सकों की माने तो मरीजों की संख्या बढ़ने का कारण मौसम का मिजाज बदलना है। अगर इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रॉन्ग है तो यह बीमारी के प्रभाव को कम करने और रिकवरी में तेजी लाने में मदद करता है। डाबर च्यवनप्राश 40 से भी ज्यादा आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का खजाना है, जो इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग करने के लिए बेहतर ऑप्शन है।
नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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