आज के दौर में बढ़ता कार्यभार और जीवन की आपाधापी व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रहे हैं। कई बार सुबह उठते ही नकारात्मक विचारों और चिंताओं का दिमाग में मंडराना मॉर्निंग एंग्जाइटी का संकेत हो सकता है। जानिए इसके प्रमुख लक्षण और इससे निपटने के प्रभावी उपाय:
मॉर्निंग एंग्जाइटी के लक्षण1. अवसादपूर्ण विचारों में डूबे रहना : व्यक्ति किसी एक ही विषय में खो जाता है, जिससे समय का पता नहीं चलता और सामान्य कार्यों में रुकावट महसूस होती है।
2. पेट में असहजता और चक्कर आना : मॉर्निंग एंग्जाइटी का असर पेट की हलचल और सिर के चक्कर के रूप में प्रकट हो सकता है।
3. थकान का एहसास: बिना किसी कारण के शरीर में थकान और ऊर्जा की कमी महसूस होती है, जिससे कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
4. सिरदर्द और छाती में दबाव: सिरदर्द के साथ छाती में भारीपन जैसे लक्षण बढ़ने लगते हैं।
5. नर्वसनेस : व्यक्ति असहजता महसूस करता है और बिना वजह रोने या चिल्लाने जैसी प्रतिक्रियाएं देता है।
1. समस्याओं के कारणों की पहचान करें : किसी भी समस्या का समाधान उसके स्रोत को समझने से संभव होता है। मॉर्निंग एंग्जाइटी का सामना कर रहे लोगों को अपने तनाव के कारणों की पहचान करनी चाहिए और उसे दूर करने के लिए कार्य करना चाहिए।
2. संतुलित आहार: नकारात्मक विचारों से उबरने के लिए आहार में मैग्नीशियम और पोटैशियम से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स, ओट्स और साबुत अनाज को शामिल करें। ये तत्व कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
3. मेडिटेशन और एक्सरसाइज़ : सुबह उठकर माइंडफुलनेस मेडिटेशन और नियमित एक्सरसाइज़ करें। इससे शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है और तनाव कम करने में मदद मिलती है। शोधों के अनुसार, सप्ताह में 5 दिन 30 मिनट की एक्सरसाइज़ मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
4. सुबह का रूटीन बनाएं: उठने के तुरंत बाद से ही दिनचर्या का पालन करने से तनाव कम होता है और काम अधूरा रहने का भय भी समाप्त हो जाता है। इससे व्यक्ति का दिनभर का कार्य सक्रियता से होता है और मी-टाइम भी निकाला जा सकता है।
5. अधिक सोच-विचार से बचें : समस्याओं के बारे में देर तक सोचने से चिंता बढ़ती है और नकारात्मकता बढ़ने लगती है। किसी परिस्थिति या व्यक्ति के प्रति नकारात्मक धारणा न बनाएँ और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करें।इन उपायों का अनुसरण करके मॉर्निंग एंग्जाइटी को नियंत्रित किया जा सकता है और व्यक्ति एक खुशहाल और स्वास्थ्यप्रद जीवन की ओर बढ़ सकता है।
मानसिक तौर पर आज लगभग हर इंसान परेशान है, जिसमें सबसे ज्यादा असरकारक हैं महामेधा, करकरा, उत्पला और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियां, जो अपने औषधीय और उपचारात्मक गुणों से भरपूर हैं और ये सबकी सब मिश्रित रूप में डाबर च्यवनप्राश में मौजूद हैं, जिसके सेवन से ब्रेन फंक्शन को बेहतर बनाया जा सकता है।
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