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ग्रामीण युवा भारत के डिजिटल परिवर्तन का नेतृत्व कर रहे हैं

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पंकज जगन्नाथ जयस्वाल

केंद्र की भाजपा सरकार के साथ-साथ भाजपा शासित राज्य और एनडीए सरकारें ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं। हमारा देश लगभग 6 लाख गांवों से बना है। कांग्रेस के शासनकाल में सामाजिक और आर्थिक विकास के मामले में उनकी अनदेखी की गई। कांग्रेस के शासन के दौरान वे तकनीकी उन्नति के मामले में पीछे रह गए। मोदी सरकार ने सभी क्षेत्रों में ग्राम विकास के लिए 360 डिग्री का दृष्टिकोण अपनाया है। ग्रामीण युवाओं को डिजिटल दुनिया से जोड़ना एक महत्वपूर्ण कार्य है। देश के युवा भारत के भविष्य के पथ प्रदर्शक हैं, जो अपने उत्साह और आविष्कारशीलता के साथ अमृत काल के सपनों को आगे बढ़ा रहे हैं। जैसे-जैसे देश डिजिटल परिवर्तन से गुजर रहा है, इस विस्तार का उद्देश्य न केवल कई क्षेत्रों में दक्षता बढ़ाना है, बल्कि एक ऐसी दुनिया बनाना है जिसमें प्रौद्योगिकी व्यक्तियों को अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए सशक्त बनाती है। डिजिटलीकरण के उदय ने नई संभावनाओं को जन्म दिया है, जिससे लाखों लोगों को पहले अप्राप्य अवसरों को भुनाने का मौका मिला है। इस वर्ष के विकास को पूर्ण वार्षिक मॉड्यूलर सर्वेक्षण (जुलाई 2022-जून 2023) में शामिल किया गया है, विशेष रूप से यह कि किस प्रकार ग्रामीण युवा प्रौद्योगिकी को अपना रहे हैं, डिजिटल उपकरणों को रोजमर्रा की जिंदगी में एकीकृत कर रहे हैं तथा विभिन्न क्षेत्रों में अंतर को पाट रहे हैं।

ग्रामीण भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग

ग्रामीण भारत में जबरदस्त बदलाव हो रहा है, क्योंकि अधिक से अधिक युवा प्रौद्योगिकी को अपना रहे हैं और डिजिटल दुनिया से जुड़ रहे हैं। मोबाइल प्रौद्योगिकी अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है और अधिक से अधिक ग्रामीण युवा अपनी दिनचर्या में डिजिटल उपकरणों को अपना रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, 15-24 वर्ष के 95.7% युवाओं के पास मोबाइल फोन की सुविधा है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 97% है। 4जी ग्रामीण आबादी के 99.5% लोगों को कवर करता है। शहरी क्षेत्रों में, 99.8% आबादी के पास 4जी नेटवर्क की सुविधा है। ग्रामीण क्षेत्रों में, 15-24 वर्ष के 82.1% युवाओं के पास अब इंटरनेट कनेक्शन है, जो दर्शाता है कि यह पीढ़ी तेजी से कनेक्ट हो रही है। हालाँकि महानगरीय क्षेत्रों में इस आयु वर्ग के लिए 91.8% इंटरनेट कनेक्टिविटी है, लेकिन यह अंतर धीरे-धीरे कम हो रहा है।

एक व्यापक वार्षिक मॉड्यूलर सर्वेक्षण ने संकेत दिया कि सर्वेक्षण से पहले तीन महीनों में 15-24 वर्ष की आयु के 80.4% ग्रामीण युवाओं ने इंटरनेट का उपयोग किया, जो ग्रामीण भारत में अब तक की सबसे अधिक दर है। इसके विपरीत, महानगरीय क्षेत्रों में उपयोग थोड़ा अधिक (15-29 आयु वर्ग के बीच 91.0%) था। यह विस्तारित प्रवृत्ति ग्रामीण भारत के हृदय में हो रहे तेजी से हो रहे तकनीकी परिवर्तन पर जोर देती है, जो डिजिटल समावेशन और सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरुआत कर रही है।

प्रौद्योगिकी के उपयोग का उद्देश्य

ग्रामीण भारत की डिजिटल यात्रा जारी है, युवा लोग लगातार नई प्रौद्योगिकी क्षमताएँ प्राप्त कर रहे हैं। हालाँकि हर कोई डिजिटल तकनीकों का पूरी तरह से उपयोग करने में सक्षम नहीं है, लेकिन कई लोग इस बदलते परिदृश्य में आगे बढ़ रहे हैं। सूचना प्राप्त करने के लिए इंटरनेट का उपयोग भी बढ़ रहा है, 15-24 वर्ष के 60.4% युवा सक्रिय रूप से ऑनलाइन जानकारी की तलाश कर रहे हैं। ईमेल और इंटरनेट बैंकिंग तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। ग्रामीण युवाओं के बीच डिजिटल कौशल को लगातार अपनाने से ग्रामीण भारत अधिक जुड़ा हुआ और सशक्त हो रहा है, जहाँ प्रौद्योगिकी नए अवसर और विकास प्रदान करती है।

यूनिवर्सल कनेक्टिविटी और डिजिटल इंडिया के लिए सरकारी पहल

सरकार ने डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों और नीतियां बनाकर योगदान दिया है, जिसने भारत के कनेक्टिविटी परिदृश्य को नाटकीय रूप से बदल दिया है। डिजिटल इंडिया पहल ने कई प्रौद्योगिकी-आधारित स्टार्टअप और नवाचार योजनाओं को लागू किया है, जिसमें टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन एंड डेवलपमेंट ऑफ़ एंटरप्रेन्योर्स (TIDE 2.0), जेन-नेक्स्ट सपोर्ट फ़ॉर इनोवेटिव स्टार्टअप्स (GENESIS), डोमेन स्पेसिफ़िक सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस (CoEs) और नेक्स्ट जेनरेशन इनक्यूबेशन स्कीम (NGIS) शामिल हैं। इसके अलावा, भारत नेट परियोजना, जो ग्रामीण क्षेत्रों को ऑप्टिकल फ़ाइबर लाइनों से जोड़ती है और USOF (यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड) योजना, जो दूरदराज के समुदायों को 4G सेवाएँ प्रदान करती है, को इंटरनेट उपलब्धता बढ़ाने के लिए अपनाया गया है। भारत बीपीओ प्रमोशन स्कीम (IBPS) और नॉर्थ ईस्ट बीपीओ प्रमोशन स्कीम (NEBPS) कम सेवा वाले क्षेत्रों में IT/ITES विकास को प्रोत्साहित करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप नौकरी की संभावनाएँ बढ़ती हैं। पीएम वाणी कार्यक्रम भी चल रहा है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट प्रदान करना है। इन परियोजनाओं ने मिलकर डिजिटल विभाजन को पाटने और भारत की डिजिटल क्रांति को आगे बढ़ाने में मदद हो रही है।

भारत का ग्रामीण डिजिटल विकास युवाओं को प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए सशक्त बना रहा है, जिससे दैनिक जीवन में बड़े बदलाव आ रहे हैं और शहरी-ग्रामीण विभाजन समाप्त हो रहा है। कम लागत वाले हाई-स्पीड इंटरनेट और विभिन्न सरकारी पहलों की उपलब्धता के साथ, ग्रामीण युवा संचार, स्टार्ट-अप, शिक्षा और आर्थिक विकास के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने में सक्षम हो रहे हैं। यह प्रवृत्ति विकास और अवसर को बढ़ावा देने में प्रौद्योगिकी की भूमिका की बढ़ती समझ को दर्शाती है। जैसे-जैसे डिजिटल साक्षरता और बुनियादी ढाँचा बेहतर होता है, ग्रामीण युवा देश की भविष्य की कनेक्टिविटी और समावेशिता में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार हैं।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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हिन्दुस्थान समाचार / संजीव पाश

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