वित्तीय संकट से जूझ रही जेट एयरवेज के लिक्विडेशन का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किया जा चुका है. जिसके साथ ही शीर्ष न्यायालय ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के फैसले को भी रद्द कर दिया.जेट एयरवेज के स्वामित्व का हस्तांतरण करने के लिए बने रिजोल्यूशन प्लान में पूरे पेमेंट के बिना स्वामित्व का ट्रांसफर करना शामिल था. जिसे एनसीएलएटी द्वारा मंजूरी दी गई थी. शीर्ष न्यायालय ने की NCLAT की आलोचनाएनसीएलएटी द्वारा मार्च 2024 को यह आदेश भी जारी किया गया था कि जेकेसी को स्वामित्व का ट्रांसफर के फैसले को नहीं बदला जाए.एनसीएलएटी के इस फैसले को भी सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है. इसके साथ ही एनसीएलएटी पर तथ्यों की बिना जांच किये और पिछले लिए गए फैसलों की अनदेखी करके जालान कैलरॉक के पक्ष में फैसला सुनाने का आरोप लगाते हुए शीर्ष न्यायालय ने आलोचना की.इस मामले पर जस्टिस जे बी पारदीवाला ने सुनवाई की. जिन्होंने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि इनसॉल्वेंसी ट्रिब्यूनल्स के कामकाज और आईबीसी के लिए ये मामला आंखे खोलने वाला है. एनसीएलएटी द्वारा पेमेंट की 150 करोड़ रुपये पहली क़िस्त की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी के समायोजन के लिए दिया गया आदेश ही नियमों के अनुरूप नहीं है.शीर्ष न्यायालय ने कहा कि परफॉर्मेंस बैंक गारंटी के समायोजन का आदेश जारी करना ही रिजोल्यूशन प्लान के अंतर्गत नहीं है, यह प्लान का उल्लंघन हैं, जिसके बारे में पहले से योजना साफ तरह से बताई गई थी. NCLAT के खिलाफ लेंडर्स का विरोधएनसीएलएटी के द्वारा जारी किये गए आदेश को एसबीआई सहित अन्य लेंडर्स ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उस आदेश में जेट एयरवेज के रिजोल्यूशन प्लान को बरकरार रखते हुए जालान कैलरॉक कंसोर्शियम को स्वामित्व का हस्तांतरण करने की मंजूरी दे दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 16 अक्टूबर को ही सुनवाई पूरी हो गई थी.
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