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सरकारी स्टॉक सहित अन्य कई कारणों से बढ़ रहे गेहूं के दाम, सामने आई रिपोर्ट

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देश में गेहूं के दामों में उछाल जारी है. केवल शहरों में ही नहीं बल्कि गांवों में भी गेहूं की कीमत 25 रुपये किलो तक पहुंच गई. शहरों में तो दाम और भी अधिक है. गेहूं के दाम बढ़ने के कई कारण हैं, जिसमें डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम के साथ ही सरकारी स्टॉक भी शामिल हैं.एक रिपोर्ट में अधिकारियों ने कहा कि सरकारी स्टॉक के गेहूं की सप्लाई नहीं की जा रही है. जिसके कारण भी गेहूं की सप्लाई प्रभावित हुई है, जिससे गेहूं के दाम बढ़ते जा रहे हैं. गेहूं के दाम बढ़ने के कारणमार्केट में गेहूं की जितनी मांग है उसके अनुसार स्टॉक सीमित है और डिमांड पूरी नहीं की जा रही है. सप्लाई में सुधार तभी हो सकता है यदि सरकार स्टॉक जारी कर दें या नहीं तो नए सीजन की फसल आ जाए. इसके बाद ही कीमतों में कमी आ सकती है. ऐसा ही पिछले साल भी हुआ था.सरकार ने गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण पाने और सप्लाई बढ़ाने के लिए सितंबर में व्यापारियों और मिल मालिकों के गेहूं स्टॉक की सीमा को कम कर दिया था, लेकिन इसका भी ज्यादा सकारात्मक असर देखने को नहीं मिला. इन प्रतिबंधों के बाद भी मध्य प्रदेश के इंदौर में गेहूं के दाम 30,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गए जो अप्रैल में 24,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन थे. अभी और बढ़ेगें दाममुंबई के एक डीलर का कहना है कि अभी गेहूं के दाम और बढ़ सकते हैं. व्यापारियों को उम्मीद है कि जब तक नए सीजन की फसल बाजार में नहीं आती तब तक गेहूं की कीमतें कम नहीं होगी. लेकिन इसमें मार्च तक का समय लग सकता है. सरकार तुरंत स्टॉक को जारी कर दें तो कीमतों को काबू में लाया जा सकता है. खुदरा महंगाई दर पर भी असरगेहूं के दाम के कारण महंगाई बढ़ रही है, जिसके कारण ओवरऑल खुदरा महंगाई दर पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है. पिछले 14 महीने के रिकॉर्ड को अक्टूबर महीने की ओवरऑल खुदरा महंगाई दर पार हो गई. गेहूं के अलावा सब्जियों के बढ़ते दाम के कारण भी महंगाई दर रिकॉर्ड पार पहुंच चुकी है.
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