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दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर पीएम मोदी, राहुल गांधी सहित कई हस्तियों ने शोक व्यक्त किया

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टाटा ग्रुप और टाटा संस के सम्मानित एमेरिटस चेयरमैन रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्‍होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्‍पताल में अंतिम सांस ली. बुधवार की शाम में उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई थी. जिसके कुछ घंटे बाद ही खबर आई कि उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया है. उन्होंने टाटा ग्रुप को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया और टाटा टेलीसर्विसेज और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के आईपीओ जैसी प्रमुख पहलों का नेतृत्व किया. सेवानिवृत्ति के बाद वे एक प्रभावशाली व्यक्ति बने रहे. उन्होंने टाटा ट्रस्ट की देखरेख की और 30 से अधिक स्टार्ट-अप का समर्थन किया. भारत के सबसे बड़े ग्रुप टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने सोमवार को सोशल मीडिया पोस्ट में अपने स्वास्थ्य को लेकर लगाई जा रही अटकलों को खारिज कर दिया था और कहा था कि वह अपनी उम्र के कारण नियमित चिकित्सा जांच करवा रहे हैं.टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने देर रात जारी बयान में कहा, "हम बहुत बड़ी क्षति के साथ श्री रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं. वे वास्तव में एक असाधारण लीडर थे, जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा ग्रुप को बल्कि हमारे राष्ट्र के ताने-बाने को भी आकार दिया है. " चंद्रशेखरन ने कहा, "टाटा ग्रुप के लिए श्री टाटा चेयरमैन से कहीं अधिक थे. मेरे लिए वे एक मार्गदर्शक, मार्गदर्शक और मित्र थे. उन्होंने अपने उदाहरण से प्रेरणा दी."परोपकार के क्षेत्र में श्री टाटा के योगदान को याद करते हुए चंद्रशेखरन ने कहा, "शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, उनकी पहल ने गहरी छाप छोड़ी है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को लाभ होगा."जैसे ही यह खबर फैली, उद्योग जगत और अन्य क्षेत्रों से दिवंगत रतन टाटा को श्रद्धांजलि अर्पित की जाने लगीं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रतन टाटा को "एक दयालु आत्मा और असाधारण इंसान" बताया.प्रधानमंत्री ने तस्वीरों के साथ कई ट्वीट में लिखा, "श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी कारोबारी नेता, दयालु आत्मा और असाधारण इंसान थे. उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया. साथ ही उनका योगदान बोर्डरूम से कहीं आगे तक गया. उन्होंने अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के लिए अटूट प्रतिबद्धता के से कई लोगों को प्रभावित किया."राहुल गांधी ने कहा: "रतन टाटा एक दूरदर्शी व्यक्ति थे. उन्होंने व्यवसाय और परोपकार दोनों पर अमिट छाप छोड़ी है. उनके परिवार और टाटा समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं." रतन टाटा 1991 में 100 बिलियन डॉलर के स्टील से लेकर सॉफ्टवेयर तक के कारोबार वाले ग्रुप के चेयरमैन बने और उन्होंने 100 साल से भी अधिक समय पहले अपने परदादा द्वारा स्थापित इस ग्रुप को 2012 तक चलाया.उन्होंने 1996 में दूरसंचार कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज को सार्वजनिक किया.साल 2004 में भूमिका में परिवर्तन के तहत भारतीय कंपनी टाटा ग्रुप ने प्रतिष्ठित ब्रिटिश कार ब्रांडों - जगुआर और लैंड रोवर - का अधिग्रहण किया. साल 2009 में रतन टाटा ने दुनिया की सबसे सस्ती कार को मध्यम वर्ग तक पहुंचाने का अपना वादा पूरा किया. एक लाख रुपए की कीमत वाली टाटा नैनो इनोवेशन और किफ़ायतीपन का प्रतीक बन गई.रतन टाटा, 1991 से 2012 तक और 2016 से 2017 तक दो बार टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे. यद्यपि उन्होंने कंपनी के दैनिक कामकाज से खुद को अलग कर लिया, लेकिन वे इसके चेरेटी ट्रस्टों के प्रमुख बने रहे.साल 2008 में उन्हें भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण मिला. 2000 में उन्हें तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण मिला था.
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