हर धर्म में अलग-अलग प्रथाएं और मान्यताएं होती हैं। लेकिन ये बात भी सच है कि धर्म में ही कई कुप्रथाएं भी होती हैं। जिनका इस्तेमाल रूढ़िवादी लोग कमजोर वर्ग का शोषण करने के लिए करते हैं। आज हम एक ऐसी कुप्रथा के बारे में बात करने जा रहे हैं, जो महिलाओं के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं है। इसी तरह की एक कुप्रथा निकाह मुतह है, जिसमें शादी केवल एक कॉन्ट्रैक्ट होती है। इसी कारण इसकी बहुत आलोचना भी की जाती है। ये कुप्रथा इस्लाम धर्म में प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि तीन तलाक के बाद मुस्लिम महिलाएं जिसपर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही हैं, वह निकाह मुताह है। मुताह शब्द का मतलब खुशी, मजा या लाभ होता है। ऐसे में ये शब्द ही विवाह जैसे पवित्र रिश्ते के उद्देश्य पर सवाल खड़े कर देता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अस्थायी विवाह या ‘निकाह मुताह’ एक प्राचीन इस्लामी प्रथा है। यह प्रथा एक पुरुष और एक महिला को विवाह में बांधती है लेकिन केवल सीमित समय के लिए। कहा जाता है कि हजारों साल पहले पुरुषों ने लंबी दूरी की यात्रा करते हुए अपनी पत्नी को कम समय के लिए अपने साथ रखने के लिए इस प्रथा का इस्तेमाल किया था। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि सुन्नी मुसलमान निकाह मुताह का पालन नहीं करते हैं, लेकिन शियाओं के बीच इसकी अनुमति है।
आलोचक बताते हैं वेश्यावृति
2013 की एक रिपोर्ट में युवा ब्रिटिश मुसलमानों से इस बारे में बात की गई, जो इस प्रथा का पालन कर रहे थे। वरिष्ठ ब्रिटिश विद्वानों और छात्र समूहों ने बताया कि युवा ब्रिटिश शिया इस प्रथा का इस्तेमाल अपने साथी से पूरी तरह से शादी करने से पहले उसे अच्छी तरह से जानने के लिए करते हैं। कुछ आलोचकों का कहना है कि यह प्रथा शादी से पहले किसी के साथ सोने का एक तरीका है। कुछ इसे ‘वेश्यावृत्ति’ भी कहते हैं।
शादी की नियमें और शर्तें होती हैं
एक वेबसाइट के मुताबिक, निकाह मुताह की कुछ अनिवार्य शर्तें और नियम हैं। उदाहरण के लिए, दोनों पक्षों की आयु 15 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, पत्नियों की संख्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है, दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य है, निकाहनामा में रॉयल्टी और दहेज की अवधि का उल्लेख किया जाना चाहिए, दोनों पक्षों के बीच शारीरिक संबंध बन सकता है। रिश्ता वैध होगा, ऐसे विवाह से पैदा हुए बच्चे वैध हैं और माता-पिता दोनों की संपत्ति पर उनका अधिकार है, मुताह पत्नी व्यक्तिगत कानून के तहत रखरखाव का दावा नहीं कर सकती है, तलाक मुताह निकाह के तहत मान्यता प्राप्त नहीं होता है।
महिलाओं के लिए अभिशाप से कम नहीं
कुछ ऐसे कारण भी होते हैं जिनकी वजह से शादी रद्द हो सकती है। उदाहरण के लिए, विवाह की अवधि पूरी होने पर, किसी एक पक्ष की मृत्यु होने पर। यह कुप्रथा केवल महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है। शादी की अवधि पूरी होने के बाद भी महिला का जीवन सामान्य नहीं हो पाता। उसे इद्दत की रस्म निभानी है। इद्दत की रस्म चार महीने दस दिनों तक चलती है, जिसमें महिला को पुरुष की छाया से दूर एकांत में रहना पड़ता है। तभी उसे पुनर्विवाह के योग्य माना जाता है।
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