Train Turn Without Steering: जब हम सड़क पर गाड़ियों को चलाते हैं तो स्टीयरिंग के माध्यम से उन्हें आसानी से मोड़ सकते हैं. लेकिन जब बात ट्रेनों की आती है तो उन्हें मोड़ने का तरीका बिल्कुल अलग होता है. ट्रेनों में स्टीयरिंग की कोई व्यवस्था नहीं होती बल्कि वे पटरियों पर चलती हैं जो पहले से निर्धारित पथ पर होती हैं.
ट्रेन को मोड़ने की विशेष तकनीक
ट्रेनों को मोड़ने के लिए जो मुख्य तकनीक का इस्तेमाल होता है वह है ‘पटरी परिवर्तन प्रणाली’ या ‘रेल स्विचिंग सिस्टम’. इस सिस्टम में ट्रेनों को मोड़ने के लिए पटरियों में विशेष प्रकार के नुकीले लोहे का उपयोग होता है, जिसे ‘पॉइंट्स’ कहा जाता है. ये पॉइंट्स ट्रेन की दिशा को बदलने में मदद करते हैं और ट्रेन को एक ट्रैक से दूसरे ट्रैक पर स्थानांतरित करते हैं.
पॉइंट्समैन का काम
ट्रेन की पटरियों को बदलने का काम पॉइंट्समैन द्वारा किया जाता है. पॉइंट्समैन एक रेलवे कर्मचारी होता है जिसे ट्रेनों के संचालन के लिए जरूरी पटरियों को बदलने का जिम्मा सौंपा जाता है. यह कर्मचारी सिग्नलों और ट्रैक स्विचों को संचालित करके ट्रेन को निर्धारित मार्ग पर मोड़ने का काम करता है.
स्टेशन मास्टर की भूमिका
ट्रेन के मार्ग को निर्धारित करने में स्टेशन मास्टर की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. स्टेशन मास्टर पॉइंट्समैन के साथ मिलकर काम करता है और ट्रेन के आने जाने के समय, मार्ग और पटरी के बदलाव के निर्देश देता है. इस तरह स्टेशन मास्टर यह सुनिश्चित करता है कि ट्रेन सुरक्षित और सही समय पर अपनी यात्रा को जारी रख सके.
ट्रेनों की सुरक्षा और सटीकता
ट्रेनों को मोड़ने की इस तकनीक के द्वारा न केवल यात्रा सुरक्षित होती है बल्कि यह ट्रेनों के संचालन को और भी सटीक बनाता है. पॉइंट्स और सिग्नलों की सहायता से ट्रेनें बिना किसी रुकावट के अपने निर्धारित स्टेशनों तक पहुँचती हैं और यात्री सुरक्षित रहते हैं.
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