गया, 3 नवंबर . पवित्र नगरी गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में रविवार को विदेशी श्रद्धालुओं का आध्यात्मिक मेला लगा. विशेष रूप से रूस से आए श्रद्धालुओं ने भारतीय परंपराओं का पालन करते हुए अपने पूर्वजों का पिंडदान और तर्पण किया.
गया के विष्णुपद मंदिर प्रांगण में सुबह से ही विदेशी भक्तों का जमावड़ा लगा. करीब तीन घंटे तक चले इस अनुष्ठान में श्रद्धालुओं ने बड़े ही मनोयोग से अपने पूर्वजों को याज किया.
गया में पिंडदान करने की यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और अब विदेशी भक्त भी इसे आत्मीयता से अपना रहे हैं. विदेशी श्रद्धालुओं ने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में अपनी आस्था जताते हुए, कहा कि वो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यह धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं. यहां से वो वाराणसी जाएंगे.
पंडा विजय विट्ठल ने बताया कि विदेशी श्रद्धालु विभिन्न देशों से आए हैं, जिनमें सबसे अधिक संख्या रूस से थी. ये श्रद्धालु एक दिवसीय श्राद्ध के लिए यहां आए हैं. तर्पण की इस विशेष प्रक्रिया में श्रद्धालु विष्णुपद मंदिर, अक्षयवट और फल्गु नदी में पिंडदान करेंगे. हिन्दू धर्म के अनुसार गया में पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति मिलती है, और यही कारण है कि यहां हर साल लाखों श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं.
उन्होंने बताया कि गया में पिंडदान करने के लिए विदेशी श्रद्धालु कई देशों से आए हैं. जापान, अमेरिका, साउथ अफ्रीका और कोई न्यूजीलैंड से आया है. करीब 50-60 संख्या में लोग बाहर से आए हैं.
बता दें कि गया के विष्णुपद मंदिर में रविवार की सुबह बड़ी संख्या में विदेशियों ने अपने पूर्वजों का पिंडदान किया. करीब तीन घंटे तक पिंडदान की प्रक्रिया चली.
एक विदेशी महिला ने बताया कि वो विधि-विधान से पूजा अर्चना कर काफी खुश दिखीं. अपने मनोभावों को उन्होंने ‘रघुपति राघव राजा राम’ भजन गाकर प्रदर्शित भी किया.
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एससीएच/केआर
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