Top News
Next Story
NewsPoint

बद्रीनाथ मंदिर के कपाट आज होंगे शीतकाल के लिए बंद

Send Push

बद्रीनाथ, 17 नवंबर . पवित्र बद्रीनाथ मंदिर के कपाट रविवार रात 9:07 बजे शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे. इसके लिए विधि विधान मंत्र उच्चारण के साथ कपाट बंद करने की प्रक्रिया हुई शुरू हो गई है.

शनिवार को 10,000 से अधिक भक्तों ने भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए. इस दौरान कई प्रमुख अनुष्ठान हुए और सत्र के समापन के लिए सैकड़ों किलो प्रसाद तैयार किया गया.

शुक्रवार, 15 नवंबर को, मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया के तीसरे दिन, वैदिक मंत्रोच्चारण (वेद ऋचाओं) को विराम दिया गया. यह कदम मंदिर के शीतकालीन चरण में प्रवेश का संकेत था. इसके बाद वेद उपनिषदों को मंदिर के रावल (प्रधान पुजारी) और धर्माधिकारी को औपचारिक रूप से सौंपा गया.

मंदिर बंद करने की एक सप्ताह लंबी प्रक्रिया 13 नवंबर से शुरू हुई, जब श्री गणेश मंदिर के कपाट बंद किए गए. इसके बाद आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए.

यह प्रक्रियाएं पंच पूजा का हिस्सा होती हैं, जिसमें पूरे मंदिर परिसर को लंबे शीतकाल के लिए तैयार किया जाता है. शुक्रवार को पंच पूजा के तहत महत्वपूर्ण ‘खताग पूजा’ पूरी हुई. इसके बाद माता लक्ष्मी के मंदिर में कढ़ाई भोग का प्रसाद चढ़ाकर भगवान बद्रीनाथ के गर्भगृह में सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना की गई.

उत्तराखंड के चारधाम – गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ – सभी शीतकाल के लिए बंद हो रहे हैं. यह 2024 की तीर्थयात्रा का समापन है. गंगोत्री मां गंगा को समर्पित है, सबसे पहले 2 नवंबर को बंद हुआ. इसके बाद यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट 3 नवंबर को भाई दूज के दिन बंद किए गए.

अन्य प्रमुख मंदिर के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं. रुद्रनाथ 17 अक्टूबर को और तुंगनाथ 4 नवंबर को बंद किया गया और मध्यमहेश्वर 20 नवंबर को बंद होगा. केदारनाथ के रक्षक देवता भकुंटा भैरवनाथ के कपाट 29 अक्टूबर को बंद कर दिए गए.

यह बंद होने की प्रक्रिया दशहरा के आसपास होती है और शीतकाल के दौरान मंदिरों और उनके आसपास के क्षेत्रों को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है. यह मंदिर अगले साल अप्रैल या मई में खुलेंगे और 2025 की तीर्थयात्रा के लिए तैयार होंगे.

एएस

The post first appeared on .

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now