ब्रिस्बेन, 4 नवंबर . विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन में भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया. जयशंकर दो देशों की यात्रा पर हैं. वह सात नवंबर तक ऑस्ट्रेलिया में रहेंगे और आठ नवंबर को सिंगापुर जाएंगे.
जयशंकर ने लिखा, “आज ब्रिस्बेन में भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का औपचारिक रूप से उद्घाटन करते हुए खुशी हो रही है. यह क्वींसलैंड स्टेट के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने, व्यापार, शैक्षिक संबंधों को बढ़ावा देने और प्रवासी समुदाय की सेवा करने में योगदान देगा.”
उद्घाटन समारोह में क्वींसलैंड के गवर्नर डॉ. जीनेट यंग और मंत्री रोस बेट्स और फियोना सिम्पसन सहित प्रमुख अधिकारी मौजूद थे. एक अलग बैठक में, जयशंकर ने गवर्नर यंग के साथ आर्थिक, व्यापार और निवेश सहयोग पर चर्चा की.
विदेश मंत्री ने पोस्ट किया, “आज ब्रिस्बेन में क्वींसलैंड की गवर्नर महामहिम डॉ. जीनेट यंग से मिलकर प्रसन्नता हुई. क्वींसलैंड राज्य के साथ आर्थिक, व्यापार और निवेश सहयोग को मजबूत करने के अवसरों और तरीकों पर चर्चा हुई.”
इससे पहले जयशंकर ने ब्रिसबेन के रोमा स्ट्रीट पार्कलैंड्स में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी.
विदेश मंत्री ने रविवार को भारतीय समुदाय को संबोधित किया. उन्होंने भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों को मजबूत बनाने के लिए चार प्रमुख कारकों का जिक्र किया.
विदेश मंत्री ने कहा, “इसके (भारत-ऑस्ट्रेलिया के मजबूत रिश्ते) चार कारण हैं – प्रधानमंत्री मोदी, ऑस्ट्रेलिया, विश्व और आप सभी.”
इस दौरान उन्होंने कहा, “आपकी मौजूदगी, कोशिश और योगदान से यह वाणिज्य दूतावास संभव हो पाया है. मैं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सार्वजनिक रूप से किए गए उस वादे को पूरा करने आया हूं कि वह ब्रिस्बेन में वाणिज्य दूतावास खोलेंगे.”
क्वींसलैंड में रहने वाले 125,000 भारतीए, जिनमें 15,000-16,000 छात्र शामिल हैं, का जिक्र करते हुए जयशंकर ने भारत के लिए राज्य के आर्थिक महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि “भारत को ऑस्ट्रेलिया का 75 प्रतिशत निर्यात वास्तव में इसी राज्य से आता है.”
ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा के बाद, विदेश मंत्री जयशंकर 8 नवंबर को सिंगापुर जाएंगे, जहां वे आसियान-भारत थिंक टैंक नेटवर्क के 8वें गोलमेज सम्मेलन में भाग लेंगे.
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि वे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी की समीक्षा करने और द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के अवसरों की तलाश में सिंगापुर के नेतृत्व से भी मिलेंगे.
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