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जेट एयरवेज का सफर समाप्त, 1.48 लाख रिटेल निवेशकों के पैसे अटके

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नई दिल्ली, 7 नवंबर . जेट एयरवेज की संपत्तियों के बेचने के सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार को आए आदेश के बाद 1.48 लाख रिटेल निवेशकों के पैसे कंपनी के शेयर में फंस गए हैं.

सितंबर 2024 की शेयर होल्डिंग पैटर्न के मुताबिक, रिटेल निवेशकों के पास कंपनी में करीब 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

जेट एयरवेज का मौजूदा बाजार पूंजीकरण 386.69 करोड़ रुपये है और एयरलाइन में रिटेल निवेशकों की शेयरहोल्डिंग की वैल्यू करीब 75 करोड़ रुपये है.

रिटेल निवेशकों के अलावा कंपनी में दूसरे सबसे बड़े हिस्सेदार एतिहाद एयरवेज है, जिसके पास कंपनी में करीब 24 प्रतिशत की शेयरहोल्डिंग है. बाकी की 25 प्रतिशत हिस्सेदारी प्रमोटर्स के पास है.

गुरुवार को जेट एयरवेज का शेयर 5 प्रतिशत की गिरावट के साथ लोअर-सर्किट में 34.04 रुपये पर बंद हुआ. मार्च में शेयर ने 63 रुपये का ऑल-टाइम हाई बनाया था. तब से शेयर 46 प्रतिशत गिर चुका है.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बंद पड़ी एयरलाइन के स्वामित्व को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को हस्तांतरित करने के खिलाफ ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया. पीठ ने पक्षों के बीच “पूर्ण न्याय करने के लिए” संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया और तुरंत एक परिसमापक की नियुक्ति का आदेश दिया.

इसने जेकेसी द्वारा लगाए गए 200 करोड़ रुपये को जब्त करने का आदेश दिया और ऋणदाताओं को 150 करोड़ रुपये की परफॉर्मेंस बैंक गारंटी (पीबीजी) को भी इन कैश कराने की इजाजत दे दी है.

शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाली ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने कहा है कि प्रस्तावित पुनरुद्धार योजना ऋणदाताओं के सर्वोत्तम हित में नहीं है और समाधान योजना को कायम रखने का आदेश को लेकर राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) पर सवाल उठाया है.

जेट एयरवेज कभी भारत की सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय एयरलाइनों में से एक थी. वित्तीय संकट के कारण 2019 के अप्रैल में एयरलाइन ने संचालन बंद कर दिया था. इसके बाद जून 2019 में दिवालियापन प्रक्रिया में चली गई थी.

एबीएस/

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