मुंबई, 28 सितंबर . एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बैंकों और वित्त कंपनियों द्वारा खुदरा ऋण 2030 तक तीन गुना हो सकता है. इससे घरेलू ऋण 2024 के अंत में लगभग 23 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2031 तक 34 प्रतिशत हो जाएगा.
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त कंपनियां बैंकिंग क्षेत्र की तुलना में ऋण वृद्धि को अधिक मजबूत बनाए रखेंगी, जिसकी वृद्धि दर 14 प्रतिशत रहने की उम्मीद है.
वित्तीय कंपनियों की ऋण पुस्तिका में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. मजबूत आर्थिक विकास ने खुदरा पुनर्भुगतान क्षमता को समर्थन दिया है.
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की क्रेडिट विश्लेषक गीता चुघ ने कहा, “हम खुदरा ऋण में ताकत को प्रतिस्पर्धी बढ़त के रूप में देखते हैं, कुछ खुदरा उत्पादों में वित्त कंपनियों का दबदबा है.”
आम तौर पर उच्च स्तरीय वित्त कंपनियों के पास मजबूत पूंजी स्तर होता है, जो अगले दो वर्षों में ऋण वृद्धि को समर्थन देता है और नकारात्मक पक्ष को रोकने में सहायक होता है.
चुघ ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हालिया कार्रवाई से ऋणदाताओं का अति उत्साह कम होगा, अनुपालन बढ़ेगा और ग्राहकों की सुरक्षा होगी.
भारतीय ऋणदाताओं की मजबूत अंडरराइटिंग से परिसंपत्ति गुणवत्ता को बढ़ावा मिलेगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मुख्य रूप से कम जोखिम वाले ग्राहकों को ऋण देने और आम तौर पर कम ऋण स्वीकृति दरों पर उनके फोकस में परिलक्षित होता है.
वित्तीय कंपनियों के लिए वित्तपोषण आत्मविश्वास के स्तर के प्रति संवेदनशील बना हुआ है, लेकिन मजबूत पैरेंटेज वाली कंपनियों को प्रतिस्पर्धी दरों तक बेहतर पहुंच मिलती है.
वहीं उभरते सह-उधार मॉडल वित्तपोषण दबाव को कम कर रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, रेटेड और अनरेटेड वित्त कंपनियों के पास उच्च ऋण वृद्धि को समर्थन देने के लिए मजबूत पूंजी स्तर है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, भारतीय वित्तीय प्रणाली लचीली बनी हुई है और व्यापक आर्थिक स्थिरता से उसे ताकत मिल रही है.
वहीं एनबीएफसी क्षेत्र और शहरी सहकारी बैंकों में भी सुधार जारी है.
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एकेएस/
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