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प्योंगयांग-मॉस्को गठजोड़ की चुनौती, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जापान सचिवालय की करेंगे स्थापना

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लीमा, 16 नवंबर . दक्षिण कोरिया, अमेरिका और जापान के नेताओं ने त्रिपक्षीय सहयोग के लिए एक सचिवालय की स्थापना की घोषणा की. यह घोषणा पेरू में एक बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान की गई. तीनों देशों ने यूक्रेन में मॉस्को के युद्ध को ‘खतरनाक रूप से विस्तारित’ करने के उत्तर कोरिया और रूस के गठजोड़ की निंदा की.

योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक येओल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) शिखर सम्मेलन के दौरान लीमा में एक त्रिपक्षीय बैठक के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया.

नेताओं ने त्रिपक्षीय साझेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की. उनके मुताबिक यह क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है.

तीनों नेताओं ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा, “आज हम त्रिपक्षीय सचिवालय की स्थापना की घोषणा करते हैं, जो हमारी साझा प्रतिबद्धताओं के समन्वय और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा.”

बयान में कहा गया, “यह नया सचिवालय यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि हम जो काम मिलकर करेंगे, वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र को एक समृद्ध, संबद्ध, लचीला, स्थिर और सुरक्षित क्षेत्र बनाने के हमारे उद्देश्यों और कार्यों को और अधिक मजबूत करेगा.”

तीनों नेताओं ने बैठक में यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध का समर्थन करने के लिए उत्तर कोरिया के लिए अपनी सेना भेजने की निंदा की.

बता दें सोल और वाशिंगटन लगातार यह दावा कर रहे हैं कि रूस के पश्चिमी सीमावर्ती कुर्स्क क्षेत्र में कथित तौर पर तैनात उत्तर कोरियाई सैनिकों ने यूक्रेनी सेना के खिलाफ युद्ध अभियान शुरू कर दिया है.

बयान के मुताबिक “जापान, आरओके और संयुक्त राज्य अमेरिका, डीपीआरके और रूस के नेताओं द्वारा यूक्रेन के खिलाफ मॉस्को के आक्रामक युद्ध को खतरनाक रूप से विस्तारित करने के फैसले की कड़ी निंदा करते हैं.”

रिपब्लिक ऑफ कोरिया (आरओके), साउथ कोरिया का आधिकारिक नाम है. डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके) उत्तर कोरिया का आधिकारिक नाम है.

संयुक्त बयान में कहा गया, “युद्ध सामग्री और बैलिस्टिक मिसाइल ट्रांसफर सहित डीपीआरके और रूस के बीच सैन्य सहयोग को गहरा करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि रूस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने का दर्जा प्राप्त है.”

नेताओं ने ‘कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण’ के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की.

एमके/

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