नई दिल्ली, 7 नवंबर . भारत का जोर महिला-नेतृत्व वाले विकास पर है. भारत ने यह बात ‘जी-20’ संसदों के 10वें सम्मेलन में कही. यह सम्मेलन ब्राजील में हो रहा है. भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान सतत विकास लक्ष्यों पर हुई प्रगति पर प्रकाश डाला. उन्होंने दोहराया कि भारत ने महिला विकास के वाच्य को महिला-नेतृत्व वाले विकास से बदल दिया है.
उन्होंने नमो ड्रोन दीदी कार्यक्रम का भी उल्लेख किया. इसके तहत ग्रामीण महिलाएं अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करती हैं व स्व-सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान किया जाता है. इस जी-20 सम्मेलन में भाग लेने के लिए राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के नेतृत्व में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल इस समय ब्राजील में है. यहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ब्राजील की संसद के सीनेट के अध्यक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक की.
इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने लोकतंत्र, बहुलवाद और बहुसंस्कृतिवाद के साझा मूल्यों पर आधारित मित्रता और सहयोग के लंबे इतिहास को याद किया. अन्य बातों के अलावा, सतत विकास, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रगाढ़ करने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता का भी उल्लेख किया गया. यहां “लिंग और नस्ल के परिप्रेक्ष्य से जलवायु न्याय और सतत विकास को बढ़ावा देना” विषय पर आयोजित सम्मेलन में उपसभापति ने भारत की जलवायु कार्रवाई के पांच अमृत तत्वों (पंचामृत) का उल्लेख किया.
उन्होंने समावेशी विकास को बढ़ावा देकर अपने विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करने के भारत के दृष्टिकोण के बारे में भी बात की. उन्होंने इस संदर्भ में भारत द्वारा की गई कार्रवाई व शुरू की गई योजनाओं का भी उल्लेख किया.
राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने “लैंगिक और नस्ल असमानता से लड़ना और महिलाओं की आर्थिक स्वायत्तता को बढ़ावा देना” विषय पर सम्मेलन को संबोधित किया. उन्होंने महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को खत्म करने की भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया, जिसके लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा मौजूद है.
उन्होंने याद दिलाया कि भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान, जी-20 महिला मंत्रियों की सहायता करने के लिए महिला सशक्तीकरण पर एक कार्य समूह बनाया गया था. उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंड अप इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन जैसी योजनाओं का जिक्र किया, जो कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी और उनकी वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में सहायक रही हैं. उन्होंने भारतीय संसद द्वारा पारित नारी शक्ति वंदन अधिनियम का भी जिक्र किया.
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जीसीबी/एबीएम
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