रांची, 8 नवंबर . केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को झारखंड की बहरागोड़ा, मनोहरपुर और जगन्नाथपुर विधानसभा सीट पर एनडीए उम्मीदवारों के पक्ष में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए राज्य की मौजूदा सरकार को बांग्लादेशी घुसपैठियों का संरक्षक करार दिया.
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनते ही नागरिकता का रजिस्टर बनाया जाएगा और विदेशी घुसपैठियों को चुन-चुनकर बाहर निकाला जाएगा. विदेशी घुसपैठिए एक बड़ा संकट बनकर झारखंड और आदिवासी संस्कृति पर छाए हुए हैं. ये हमारा देश है, कोई धर्मशाला नहीं है कि कोई भी अपनी मर्जी से चला आए. ये देश हमारा है, ये धरती हमारी है, ये जमीन, जल, जंगल, नदियां, पर्वत, पहाड़, खेत, हमारे हैं और हम इन पर और किसी का कब्जा किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे.
उन्होंने कहा कि यहां धड़ल्ले से घुसपैठिए आ रहे हैं, आदिवासी बेटियों को भ्रम के जाल में फंसाकर उनसे शादी कर रहे हैं, जमीनों और पंचायतों पर कब्जा कर रहे हैं. रूबिका और अंकिता जैसी बेटियों की निर्मम हत्याएं हो रही है, लेकिन झारखंड की सोरेन सरकार चुप्पी साधे बैठी है, क्योंकि, हेमंत सोरेन और जेएमएम-कांग्रेस के लोग विदेशी घुसपैठियों को अपना वोट बैंक मानते हैं. वोटों की लालच में उन्हें संरक्षण देकर उनके वोटर लिस्ट में नाम लिखवा रहे हैं और आधार कार्ड, राशन कार्ड तक बनवाए जा रहे हैं. हालात ये हैं कि, संथाल परगना में आदिवासी आबादी 44 प्रतिशत से घटकर केवल 28 प्रतिशत रह गई है.
राज्य की सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पांच साल पहले हेमंत सोरेन सरकार ने महिलाओं से वादा किया था कि उन्हें चूल्हा खर्च के लिए प्रति माह 2 हजार रुपए की राशि दी जाएगी. पूरे 4 साल 10 महीने कुछ नहीं दिया और चुनाव के नजदीक आते ही एक नई योजना बनाकर वोटों की लालच में महिलाओं के बैंक खाते में एक-एक हजार रुपए डाल दिए. दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी की सरकारें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम, ओडिशा और महाराष्ट्र में बहनों के बैंक खाते में सम्मान राशि दे रही है.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में अब हर बहन को स्व-सहायता समूह के माध्यम से लखपति दीदी बनाना है. लखपति दीदी का मतलब है कि हर बहन की प्रति माह आमदनी 10 हजार रूपए से ज्यादा हो और सालाना 1 लाख से अधिक हो. भारतीय जनता पार्टी जो कहती है, वो करती है. हेमंत सोरेन सरकार पर युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उत्पाद सिपाही भर्ती के नाम पर बच्चों को कड़ी धूप में 10 किलोमीटर तक ऐसा दौड़ाया कि कई बच्चे जिंदगी की जंग हार गए. बच्चों की मां घर पर इंतज़ार कर रही थी कि बच्चे सिपाही की वर्दी पहनकर वापस लौटेंगे, लेकिन बच्चे कफन ओढ़कर लौटे. ये हादसा नहीं बल्कि हत्या है.
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एसएनसी/एबीएम
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