पटना, 16 नवंबर . बिहार की राजधानी पटना में शनिवार को पद्म भूषण से विभूषित और हाल ही में दिवंगत लोक गायिका शारदा सिन्हा के सम्मान में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सहित कई प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे.
कार्यक्रम में शारदा सिन्हा की संगीत यात्रा और उनके योगदान को सराहा गया. लोगों ने उनके योगदान को याद करते हुए सभी ने श्रद्धांजलि अर्पित की.
सम्राट चौधरी ने से बात करते हुए कहा कि शारदा सिन्हा बिहार की एक ऐसी महान आवाज थीं जो हमारे मातृत्व का प्रतीक मानी जाती थीं. बिहार की लोक संस्कृति, मैथिली, अंगिका, बज्जिका जैसी स्थानीय बोलियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लोकल फॉर लोकल’ के विचार के अनुरूप, उन्होंने देश और दुनिया तक पहुंचाने का कार्य किया. यह समाज के लिए अपूरणीय क्षति है.
उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार कोकिला शारदा सिन्हा ने अपनी लोक कला और छठ पर्व के गीतों के माध्यम से बिहार की धार्मिक आस्था और संस्कृति को न केवल पूरे देश, बल्कि दुनिया भर में पहचान दिलाई. उनके योगदान ने बिहार के मान और सम्मान को ऊंचा किया. उनकी कमी हम सबको हमेशा खलेगी.
उन्होंने आगे कहा कि छठ के लोक गीतों से लेकर शादी-ब्याह और अन्य पारंपरिक उत्सवों तक, शारदा सिन्हा जी के गीत हमेशा समाज में एक अलग ही स्थान रखते थे. उनका संगीत आज भी हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है और आने वाले समय में यह बिहार की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जीवित रहेगा. उनका योगदान एक अमूल्य विरासत है, जिसे हम हमेशा संजोकर रखेंगे. आज हम श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए यहां आए हैं और उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें सलाम करते हैं.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि यह बहुत ही दुखद है कि हमसे एक अद्वितीय कलाकार का साया छिन गया. शारदा सिन्हा जी का स्वर और उनके गीतों की गूंज हमेशा हमारे बीच थी, और उनकी आवाज सुनकर हमें गहरी खुशी मिलती थी. उनका संगीत, उनकी गायकी का जादू हर किसी को आकर्षित करता था. उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से समाज के हर पहलू को छुआ. चाहे वह छठ के गीत हों, शादी-ब्याह के गीत हों या बेटी की विदाई के गीत, शारदा सिन्हा जी के गीतों ने हर अवसर को भावनात्मक और सांस्कृतिक रूप से खास बना दिया.
उन्होंने कहा कि पिछले पांच दशकों में उन्होंने अपने संगीत से समाज को जोड़ने का काम किया और सामाजिक परंपराओं, रीति-रिवाजों को अपनी गायकी में समाहित किया. आज उनके बिना हम सबको बहुत कुछ महसूस हो रहा है, और यह एक अपूरणीय क्षति है. हम सब उनकी पुण्यात्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यहां आए हैं.
लोक गायिका विजय भारती ने कहा कि शारदा सिन्हा को मैं कभी नहीं भूल सकती, पूरी जिंदगी में उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है. मेरी गायकी की शुरुआत से उनका मार्गदर्शन रहा. मैंने देश के कई मंचों पर उनके साथ गायन का अनुभव किया और धीरे-धीरे उनके परिवार के सदस्य की तरह मेरा संबंध उनके साथ बन गया. जो माटी की खुशबू उनके गीतों में थी, जो स्वर में वह आत्मीयता थी, वह किसी कलाकार के लिए साधारण नहीं हो सकता. चाहे कोई कितना भी उनकी नकल करने की कोशिश करे, लेकिन शारदा जी जैसा कोई नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा कि कई कलाकार उनके गीतों को गाकर रिकॉर्ड कर रहे हैं, और मैं भी उनकी प्रेरणा से गाती हूं. लेकिन मैं यह कह सकती हूं कि शारदा सिन्हा जैसा कोई नहीं हो सकता. मैं उन्हें बहुत प्यार करती थी और करती हूं, और हमेशा समर्पित रहूंगी. उनका आशीर्वाद और मार्गदर्शन हमेशा मेरे साथ रहेगा.
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “हम सब शारदा सिन्हा जी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं, क्योंकि वह बिहार की आन, बान और शान थीं. उन्होंने देश-विदेश में बिहार को एक मजबूत पहचान दिलाई, खासकर लोक गायिका के रूप में. छठ गीतों के माध्यम से उन्होंने बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल समृद्ध किया, बल्कि उसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रसिद्ध किया. उनका योगदान ऐसा है जिसे कोई भूल नहीं सकता, न मिटा सकता है. शारदा सिन्हा जी का नाम जब तक सूरज और चांद रहेगा, तब तक बिहार में हमेशा गूंजता रहेगा. पूरा बिहार उन्हें याद करेगा और उनकी गायकी, उनकी कला हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी.”
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पीएसके/एकेजे
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