रियो डी जनेरियो, 18 नवंबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन में पहुंचे. यहां पर ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेता रियो डी जनेरियो के बेसाइड म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में दो दिवसीय 19वें जी20 शिखर सम्मेलन के एकत्रित हुए हैं.
ब्राजील के राष्ट्रपति को शुभकामनाएं देने के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन की कार्यवाही का बेसब्री से इंतजार है. गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए राष्ट्रपति लूला का आभार.”
कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करते ही पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा समेत कई विश्व नेताओं से मुलाकात की.
19 सदस्य देशों और यूरोपीय संघ के नेताओं के अलावा, इस शिखर सम्मेलन में पहली बार अफ्रीकी संघ की भी भागीदारी हो रही है, जिसे पिछले वर्ष नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान समूह के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.
ब्राजील ने 18 अतिथि देशों को भी आमंत्रित किया है. इनमें अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया से पांच-पांच देश और यूरोप से तीन देश शामिल हैं. रियो शिखर सम्मेलन में 15 अंतरराष्ट्रीय संगठन भी भाग ले रहे हैं.
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पीएम मोदी के पिछले सप्ताह भारत से रवाना होने से पहले कहा था, “जी20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रमुख मंच के रूप में उभरा है. यह दुनिया की 21 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं को एकत्रित होने और ऐसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर प्रदान करता है, जो दुनिया को प्रभावित करते हैं, जैसे- सतत विकास लक्ष्यों पर प्रगति, बहुपक्षीय सुधार, पर्यावरण और जलवायु चुनौतियों से निपटना, ऋण स्थिरता, वैश्विक डिजिटल विभाजन को समाप्त करना, ऊर्जा संक्रमण और उभरती तकनीकियां. यह वैश्विक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का लगभग 88 प्रतिशत, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 78 प्रतिशत और दुनिया की कुल जनसंख्या के लगभग तीन चौथाई का प्रतिनिधित्व करता है.”
‘एक न्यायपूर्ण विश्व और एक सतत ग्रह का निर्माण’ ब्राजील की जी-20 थीम रही है. इसमें तीन प्रमुख प्राथमिकताएं- जिनमें सामाजिक समावेशन और भूख एवं गरीबी के खिलाफ संघर्ष, ऊर्जा परिवर्तन और आर्थिक क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देना, सामाजिक एवं पर्यावरणीय आयाम तथा वैश्विक शासन संस्थाओं में सुधार शामिल हैं.
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एफजेड/
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