नई दिल्ली, 4 नवंबर . भारत में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में बढ़त देखने को मिली है. अक्टूबर में एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) बढ़कर 57.5 हो गया है, जो कि सितंबर में 56.5 था.
मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में बढ़त 2024 की शुरुआत के बाद से सबसे मजूबत है. इसकी वजह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग बढ़ना है, जिसके कारण नए ऑर्डर और उत्पादन में इजाफा हुआ है.
एसएंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित की गई एचएसबीसी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया, यूरोप, अमेरिका और लैटिन अमेरिका में मांग बढ़ने के कारण अक्टूबर में नए ऑर्डर और निर्यात में तेज इजाफा हुआ है.
रिपोर्ट में बिजनेस की ओर से बताया गया कि नए उत्पादों और सफल मार्केटिंग कैंपेन के कारण बिक्री को बढ़ाने में मदद मिली है.
मांग बढ़ने के कारण उत्पादन में इजाफा हुआ. सबसे मजबूत वृद्धि कंज्यूमर और निवेश उत्पादों में हुई है.
रिपोर्ट में बताया गया कि बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए कंपनियों की ओर से कच्चे माल की खरीद को बढ़ाया गया और आपूर्तिकर्ता भी आसानी से इस मांग को पूरा कर पाए.
आगे कहा कि इस दौरान मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों में नियुक्तियों में भी तेजी देखने को मिली है. हर 10 में से एक कंपनी में नई भर्ती हुई है.
हालांकि, कच्चे माल, श्रम और परिवहन की लागत में महंगाई के कारण इनपुट मूल्य तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है.
एचएसबीसी में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि अक्टूबर में भारत के मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई में काफी वृद्धि हुई है क्योंकि अर्थव्यवस्था की परिचालन स्थितियों में व्यापाक रूप में सुधार जारी है. मांग में बढ़त के कारण भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि जारी है.
आगे कहा कि कच्चे माल, श्रम और परिवहन की बढ़ती हुई लागत के कारण इनपुट और आउटपुट कीमतों में इजाफा हो रहा है. नई तिमाही में मजबूत कंज्यूमर मांग, नए उत्पादों का लॉन्च आदि के कारण बिजनेस का आत्मविश्वास काफी उच्च स्तर पर है.
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि बढ़ी हुई लागत से निपटने के लिए कंपनियों की ओर से भी कीमतों को बढ़ाया गया है.
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एबीएस/
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