नई दिल्ली, 11 नवंबर . एक शोध में यह बात सामने आई है कि क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी), और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हृदय रोग (सीवीडी) का जोखिम अन्यों की तुलना में 8 से 28 वर्ष पहले बढ़ने का अनुमान है.
शिकागो में नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कार्डियोवैस्कुलर-किडनी-मेटाबोलिक (सीकेएम) सिंड्रोम के कार्डियोवैस्कुलर रोग (सीवीडी) जोखिम पूर्वानुमान पर प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए एक सिमुलेशन शोध किया.
उन्होंने पाया कि अकेले क्रोनिक किडनी डिजीज वाले मरीजों में हृदय रोग न होने वालों मरीजों की तुलना में आठ साल पहले हृदय रोग उच्च जोखिम होगा.
वहीं, टाइप 2 डायबिटीज वाले रोगियों में, यह जोखिम बिना बीमारी वाले लोगों की तुलना में लगभग एक दशक पहले हो सकता है.
क्रोनिक किडनी डिजीज और डायबिटीज वाले दोनों मरीजों में से महिलाओं में सीवीडी के लिए 26 साल पहले और पुरुषों में 28 साल पहले जोखिम बढ़ने का अनुमान लगाया गया.
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता और प्रमुख अध्ययन लेखक वैष्णवी कृष्णन ने कहा, “हमारे निष्कर्ष जोखिम कारकों के संयोजन की व्याख्या करने में मदद करते हैं और बताते हैं कि सीवीडी जोखिम किस उम्र में ज्यादा होगा.”
उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति का रक्तचाप, ग्लूकोज और किडनी फंक्शन का स्तर बॉर्डर लाइन पर है, लेकिन व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज के अलावा क्रोनिक किडनी रोग नहीं है, तो उसके जोखिम को पहचाना नहीं जा सकता है.
अध्ययन में पाया गया कि कार्डियोवैस्कुलर-किडनी-मेटाबोलिक (सीकेएम) सिंड्रोम के बिना, महिलाओं के लिए उच्च सीवीडी जोखिम तक पहुंचने की अपेक्षित आयु 68 वर्ष और पुरुषों के लिए 63 वर्ष थी.
शिकागो में 16-18 नवंबर को आयोजित होने वाले अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र 2024 में निष्कर्ष प्रस्तुत किए जाएंगे.
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एमकेएस/एबीएम
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