Top News
Next Story
NewsPoint

विदेशी मुद्रा भंडार में कनाडा, अमेरिका और जर्मनी से आगे भारत

Send Push

नई दिल्ली, 4 नवंबर . भारतीय रिजर्व बैंक के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा शेयर बाजार में लगातार बिकवाली और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 25 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.46 अरब डॉलर घटकर 684.8 अरब डॉलर रह गया.

हालांकि, विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर भारत अभी भी विश्व के टॉप पांच देशों में अपनी जगह बनाता है.

विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर भारत चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथे नंबर पर अपनी जगह बनाता है. भारत विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर अमेरिका, जर्मनी और कनाडा जैसे देशों को पीछे छोड़ चुका है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी रिकॉर्ड हाई पर है.

तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 700 बिलियन का आंकड़ा छू चुका है. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 27 सितंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए 704 बिलियन के आंकड़े को छू गया था.

केंद्रीय बैंक के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार का हिस्सा स्वर्ण भंडार, सप्ताह के दौरान 1.08 अरब डॉलर बढ़कर 68.53 अरब डॉलर हो गया. भू-राजनीतिक तनाव के बीच सोने की खरीद में उछाल आया है.

उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, सोना अब अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों के खिलाफ भी बचाव का काम कर रहा है, पारंपरिक रूप से यह एक सुरक्षित निवेश और मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव का साधन रहा है.

मुद्रास्फीति में नरमी के बावजूद, सोना नई ऊंचाई पर पहुंच गया है. देश के विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी भी 2018 से 210 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है.

आरबीआई के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में कुल मिलाकर 38.39 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है, जो भुगतान संतुलन के आधार पर 11.2 महीनों के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है.

यह अर्थव्यवस्था के मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी ढांचे को दर्शाता है.

भविष्य को देखते हुए, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होने का अनुमान है और मजबूत विदेशी मुद्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत कर, विदेशी निवेश को आकर्षित कर और घरेलू व्यापार और उद्योग को बढ़ावा देकर इसकी आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगी.

विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में परिवर्तन विदेशी मुद्रा बाजार में केंद्रीय बैंक की कार्रवाइयों और भंडार के भीतर विदेशी परिसंपत्तियों के मूल्य में उतार-चढ़ाव के परिणामस्वरूप होता है.

एसकेटी/एबीएम

The post first appeared on .

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now