नई दिल्ली, 15 नवंबर . देवी अहिल्याबाई होलकर की जयंती के 300वें वर्ष के अवसर पर उनके जीवन और कृतित्व को वर्तमान और भावी पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए आयोजित त्रिशती समारोह में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम दिल्ली के डॉ. श्यामा प्रसाद सिविक सेंटर में हुआ जिसमें कई दिग्गज हस्तियों ने हिस्सा लिया.
इस कार्यक्रम में अहिल्याबाई होलकर के वंशज उदय राज होलकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, दिल्ली पुलिस की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा, और लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशती समारोह समिति की अध्यक्ष डॉ. उपासना अरोड़ा ने भाग लिया. कार्यक्रम का उद्देश्य अहिल्याबाई के महान कार्यों और योगदान को जन-जन तक पहुंचाना था.
अहिल्याबाई होलकर के वंशज उदय राज होलकर ने कहा कि यह वर्ष अहिल्यादेवी होलकर की जयंती का 300वां वर्ष है, जिसे 2024 से 2025 तक त्रिशताब्दी के रूप में मनाया जा रहा है. वर्षभर के आयोजन में अब तक लगभग 1,200 कार्यक्रम संपन्न हो चुके हैं. 24 नवंबर को लखनऊ में भी एक बड़ा आयोजन किया जाएगा. इन आयोजनों में अब तक दो लाख से अधिक लोगों की भागीदारी दर्ज हो चुकी है. हम सिर्फ लोगों को बुलाने का उद्देश्य नहीं रखते, बल्कि हम चाहते हैं कि अहिल्यादेवी के योगदान और उनके व्यक्तित्व को सभी तक पहुंचाया जाए. उन्होंने आगे कहा कि अहिल्यादेवी का जीवन एक प्रेरणा है और हमें यह सुनिश्चित करना है कि उनकी प्रेरक शिक्षा और कार्यों को हर व्यक्ति तक पहुंचाया जाए.
दिल्ली पुलिस की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा ने भी इस कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा कि हमें महिलाओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता है ताकि वे किसी भी विकट स्थिति का सामना कर सकें और न्याय के लिए संघर्ष कर सकें. पुलिस विभाग में अब बदलाव आ रहे हैं और हमें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में पुलिस विभाग में महिलाओं की संख्या बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.
विमला मेहरा ने कहा कि महिलाओं को लेकर परिवर्तन एक रात में नहीं हो सकता, लेकिन धीरे-धीरे समाज में यह बदलाव आ रहा है. हमें महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में निरंतर प्रयास करने होंगे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने भारतीय इतिहास के कठिन काल और उसमें महिला शक्ति के योगदान पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि हमारे देश में सातवीं शताब्दी से एक गहरा संकट शुरू हो गया था, जो 11वीं शताब्दी के बाद भयंकर रूप से बढ़ा. इस दौरान हमारी संस्कृतियों, मंदिरों और गुरुकुलों पर हमला किया गया और महिलाओं की सुरक्षा भी खतरे में थी. इस कठिन काल में एक महिला ने अपने बेटे को तैयार किया, जिसका नाम था शिवाजी. इस महिला का नाम था जीजाबाई.
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि जीजाबाई ने अपने बेटे को न केवल वीरता की शिक्षा दी, बल्कि उसे एक ऐसे महान नेता के रूप में तैयार किया, जिसने न केवल हमारी धर्म और संस्कृति की रक्षा की, बल्कि देश को एक नई दिशा दी.
उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में महिलाओं का योगदान हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है और अहिल्याबाई होलकर जैसी महान महिलाओं ने समाज को दिशा देने का काम किया. उन्होंने विशेष रूप से कहा कि अहिल्याबाई ने न सिर्फ अपनी राज्य-प्रशासन में कुशलता का परिचय दिया, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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पीएसके/एकेजे
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