कोलकाता, 11 नवंबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी की सरकार वाले राज्य शाही परिवार के लिए एटीएम बन गए हैं, महाराष्ट्र में ऐसा नहीं होने दिया जाएगा. इस पर माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने उनकी निंदा की है.
मोहम्मद सलीम ने से बात करते हुए कहा, “अगर कोई भी पार्टी राजनीतिक भ्रष्टाचार या शाही परिवारों की बात करती है, तो मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी को इस मामले से थोड़ी दूरी बनाए रखनी चाहिए थी, और संघ परिवार को भी. आज भाजपा दुनिया में सबसे अमीर पार्टी है. पीएम मोदी ने नोटबंदी के बाद ‘कैशलेस’ का नारा दिया था, लेकिन चुनावों में सबसे ज्यादा नकदी का इस्तेमाल भाजपा कर रही है. चाहे दलबदलू खरीदने की बात हो, प्रचार के लिए पैसे का इस्तेमाल हो, या एजेंसियों को काम पर लगाना हो, पैसे का मामला हर जगह है. अगर कोई पार्टी एटीएम जैसा काम करती है, तो क्या यह ठीक है? क्या वसूली के लिए ईडी, सीबीआई और अन्य केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करना सही है? जिन बड़े-बड़े पूंजीपतियों को भाजपा अपने साथ लेकर चलती है, क्या उन्हें प्रणाम किए बिना कोई भी काम हो सकता है? यह सब भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है.”
उन्होंने आगे कहा, “अगर भ्रष्टाचार की बात करें, तो कांग्रेस के समय में भी कई बड़े घोटाले हुए थे जैसे कोल स्कैम, 2जी स्कैम. लेकिन भाजपा जब सत्ता में आई तो इन पर ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? पीएम मोदी ने नोटबंदी की थी और कहा था कि इससे भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, लेकिन आज भी जो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं, वे भाजपा के नेताओं के हैं. हमारे बंगाल में जहां भाजपा सत्ता में नहीं आई, वहां भी कई भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, और जो लोग भ्रष्टाचार के आरोपों में थे, वे भाजपा में शामिल हो गए.”
उन्होंने कहा, “पीएम मोदी चुनाव प्रचार में भ्रष्टाचार के खिलाफ बातें करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में उन्हें यह दिखाना चाहिए कि कितने भ्रष्टाचारी नेताओं को पकड़ा गया. आठ साल पहले, अरुण जेटली ने कहा था कि नोटबंदी के बाद उनके पास पूरा डाटा होगा और काले धन का हिसाब आएगा, लेकिन अब तक इस मामले में कितने लोगों को पकड़ा गया? पीएम मोदी ने विदेशों से काला धन लाने की बात की थी, और व्हाट्सएप पर यह मैसेज भी वायरल हुआ था कि कौन सा नेता कितना पैसा विदेश में रखता है. लेकिन आज वह पैसा कहां गया? स्विस बैंक, जर्मन बैंक, या लक्जेमबर्ग बैंक से वह पैसा आया क्यों नहीं?”
इसके बाद उन्होंने भाजपा नेताओं के “बंटेंगे तो कटेंगे” और “एक हैं तो सेफ हैं” वाले बयान पर कहा, “भाजापा की अपनी कोई स्थायी विचारधारा नहीं है. मुख्यमंत्री बनने से पहले, अगर आप योगी आदित्यनाथ का इतिहास देखें, तो पता चलेगा कि उन्होंने किस तरह से लोगों को बांटा. मुख्यमंत्री बनने के बाद, उनकी नीतियां भी लोगों को बांटने वाली ही रही हैं. जब सीएए के समय उत्तर प्रदेश से लोग दिल्ली आए थे, तो किस तरह से वहां फसाद किए गए और लोगों को बांटा गया, यह हमने देखा.”
उन्होंने आगे कहा, “जब धर्म की बात होती है, तो फिर यह सवाल उठता है कि जाति के आधार पर लोगों को क्यों बांटा जा रहा है? यदि आप धर्म के नाम पर राजनीति कर रहे हैं, तो फिर जाति के नाम पर भेदभाव क्यों? यदि हम सभी एक नहीं होंगे, तो अंत में हम टूट जाएंगे. यही कारण है कि हमें शांति से जीने की आदत डालनी होगी, और अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो हम टुकड़ों में बंट जाएंगे. हम तो एकता चाहते हैं, एक साथ रहना चाहते हैं, लेकिन जो लोग बंटवारे की राजनीति कर रहे हैं, वे चुनाव के दौरान भी लोगों की नाराजगी भूल जाते हैं.”
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में उच्चतम न्यायालय की सात जजों की संविधान पीठ में चार न्यायाधीशों ने अल्पसंख्यक दर्जे को बहाल रखने की बात कही है. इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जो देश के पैसे से चलता है वह सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए कैसे हो सकता है.
इस संबंध में माकपा नेता ने कहा, “योगी आदित्यनाथ को गर्व महसूस करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश में एक ऐसा विश्वविद्यालय है, जो न केवल देशभर में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध है. लेकिन योगी को यह देखना चाहिए कि राज्य विश्वविद्यालयों जैसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जो पहले से ही काफी अच्छे थे, उन्हें और बेहतर क्यों नहीं बनाया जा रहा है? इसकी बजाय, वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को क्यों निशाना बना रहे हैं? यह केवल अलीगढ़ या जेएनयू का मामला नहीं है; यह एक बड़ा मुद्दा है.”
उन्होंने आगे कहा, “जो दक्षिणपंथी विचारधारा वाले लोग हैं, वे अक्सर विश्वविद्यालयों पर हमला करते हैं क्योंकि विश्वविद्यालयों में जो शिक्षा और शोध होता है, वह लोगों के भीतर प्रगति की भावना पैदा करता है और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. जो प्रतिक्रियावादी ताकतें हैं, वे इन संस्थानों को खत्म करना चाहती हैं, क्योंकि ये स्थान खुलकर विचार, बहस और नवाचार को बढ़ावा देते हैं. वे लाइब्रेरी, विश्वविद्यालय और विद्यालयों के खिलाफ होते हैं, क्योंकि यह जगहें सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की धारा बनाती हैं. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की अपनी एक ऐतिहासिक परंपरा है, और आज वहां के छात्र और शिक्षक केवल मुस्लिम नहीं हैं. विश्वविद्यालय में सभी धर्मों और जातियों के लोग पढ़ाई करते हैं और कार्य करते हैं. इसलिए, योगी आदित्यनाथ को इसे निशाना बनाने की बजाय, उन्हें केंद्र सरकार से यह अनुरोध करना चाहिए कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को और बेहतर बनाने के लिए उसे अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं, ताकि यह और अधिक उत्कृष्टता की ओर बढ़ सके.”
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पीएसएम/एकेजे
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