नई दिल्ली, 2 नवंबर . कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, सरकार द्वारा अब तक के सबसे बड़े कैंपेन के तहत पहले ही दिन 1.8 लाख से अधिक पेंशनभोगियों ने अपने डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र (डीएलसी) बनवा लिए हैं.
पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने 1 से 30 नवंबर तक भारत भर के 800 शहरों और जिलों में तीसरा और सबसे बड़ा राष्ट्रव्यापी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र कैंपेन शुरू किया.
कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, “यह अब तक का सबसे बड़ा डीएलसी कैंपेन है.” शुक्रवार शाम तक कुल 1.81 लाख डीएलसी तैयार की गईं.
यह कैंपेन देश के दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले सभी पेंशनभोगियों तक पहुंचने के लिए सीजीडीए, दूरसंचार विभाग, रेलवे, यूआईडीएआई और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सहयोग से चलाया जा रहा है.
इसके अलावा, “19 बैंक, 785 जिला डाकघर और 57 कल्याण संघ” भी महीने भर चलने वाले कैंपेन में सहयोग करेंगे.
मंत्रालय ने कहा कि इस कैंपेन का उद्देश्य “चेहरे की पहचान करने वाली तकनीक का उपयोग करके पेंशनभोगियों के डिजिटल सशक्तिकरण को बढ़ावा देना” है.
साथ ही कहा गया कि कैंपेन के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी.
मंत्रालय ने कहा, “बुजुर्ग पेंशन भोगियों के लिए चेहरे की पहचान को अधिक सहज और सुविधाजनक बना दिया गया है और इसका उपयोग एंड्रॉइड के साथ-साथ आईओएस पर भी किया जा सकता है.”
यह टेक्नोलॉजी घर बैठे ही स्मार्टफोन कैमरे का उपयोग करके चेहरे के स्कैन द्वारा पेंशनभोगी की पहचान करने में सक्षम बनाती है, जिससे डीएलसी जमा करने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है और इसके लिए उन्हें बैंक या डाकघर जाने की आवश्यकता नहीं होती.
यूआईडीएआई के फेस रिकग्निशन एप्लीकेशन का उपयोग कर पेंशनभोगियों को डिजिटली सशक्त करना ध्येय है.
जून में, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने फेशियल ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी-आधारित डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जमा करने वाले ईपीएस पेंशन भोगियों की संख्या में तीन गुना से अधिक की वृद्धि देखी, जो कि 2022-23 में 2.1 लाख से बढ़कर 2023-24 में 6.6 लाख तक पहुंच गई है.
ईपीएफओ ने कहा कि 2023-24 में 6.6 लाख फेशियल स्कैन-आधारित डीएलसी वर्ष के दौरान प्राप्त कुल डीएलसी का लगभग 10 प्रतिशत है. पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान पेंशनभोगियों से कुल मिलाकर लगभग 60 लाख डीएलसी प्राप्त हुए थे.
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एसकेटी/केआर
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