Top News
Next Story
NewsPoint

मुझे बदनाम करने के लिए मेरा नाम दाऊद से जोड़ा गया : नवाब मलिक

Send Push

मुंबई, 15 नवंबर . अजीत पवार (एनसीपी) गुट के नेता नवाब मलिक ने शुक्रवार को से बातचीत की. उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव सहित अन्य मुद्दों पर प्रतिक्रिया दी.

आप पर दाऊद का सहयोगी होने का आरोप लगता रहा है. इस पर अजीत पवार (एनसीपी) गुट के नेता ने कहा है कि मुझे बदनाम करने के लिए मेरा नाम दाऊद से जोड़ रहे हैं. कुछ नेता मुझे आतंकवादी और कुछ तो मुझे देशद्रोही तक बता रहे हैं. हम यह सारे बयान देख रहे हैं और हमारी कानूनी टीम इसकी जांच कर रही है. हम सभी लोगों को नोटिस भेजेंगे, अगर माफी मांग ली जाती है, तो ठीक है, नहीं तो केस करेंगे. मैं छह बार मंत्री रहा, भ्रष्टाचार का आरोप लगा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि उन्हें कुछ मिला नहीं. जब कुछ नहीं मिला, तो मुझे बदनाम करने के लिए यह साजिश रची गई. मनी लॉन्ड्रिंग का जो मामला है, उस पर कोर्ट के निर्देश है कि मैं उस मामले पर कुछ न कहूं. मुझे कोर्ट पर विश्वास है कि न्याय मिलेगा. जब-जब मुझे दबाने की कोशिश की जाती है, जनता मुझे खड़ा करती है. मुझे उम्मीद है कि इस बार भी जनता मुझे खड़ा करेगी.

विधानसभा चुनाव में महायुति और महाविकास अघाड़ी में से किसे चुनौती मानने के सवाल पर अजीत पवार (एनसीपी) गुट के नेता ने कहा कि मैं चुनाव लड़ रहा हूं, मेरे खिलाफ महायुति और महाविकास अघाड़ी के प्रत्याशी मैदान में हैं. सभी पार्ट‍ियां मेरे खिलाफ विधानसभा का चुनाव लड़ रही हैं. लेकिन शिवाजी मानखुर्द की जनता मेरे साथ है. मैं एक अंदर की बात बता दूं कि सभी पार्टि‍यों के कार्यकर्ता मेरे साथ हैं.

अजीत पवार और शरद पवार फिर साथ आ सकते हैं. इस पर अजीत पवार (एनसीपी) गुट के नेता ने कहा है कि लाठी मारने से पानी अलग नहीं होता है. महाराष्ट्र की जनता और दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि दोनों नेता एक हो जाएं. लेकिन यह फैसला शरद पवार और अजीत पवार को लेना है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक हैं तो सेफ हैं कहने पर नवाब म‍ल‍िक ने कहा कि योगी आदित्यनाथ की राजनीति विभाजनकारी है. वह कभी भी देश में स्वीकार नहीं होता है. धर्म को आधार बनाकर दिए बयानों की उम्र बहुत कम होती है. 1992 में बाबरी मस्जिद गिराई गई. दंगे हुए, इसके बाद यूपी में चुनाव हुए और भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया. कोर्ट के फैसले के बाद वहां मंदिर बना है. मंदिर पर राजनीति हुई. लोकसभा के चुनाव हुए भाजपा को हार मिली. इसलिए मैं कह रहा है कि धर्म की राजनीति से चुनाव में लाभ नहीं होता है.

डीकेएम/

The post first appeared on .

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now