नई दिल्ली, 3 नवंबर . भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 2024 में 6.8 प्रतिशत रह सकती है और यह अगले साल 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है. यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई.
यूएनसीटीएडी (यूएन ट्रेड एंड डेवलपमेंट) की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी की वजह मजबूत निजी और सरकारी निवेश एवं खपत और सर्विसेज के निर्यात में बढ़ोतरी होना है.
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि सर्विसेज और कुछ वस्तुओं जैसे केमिकल और फार्मास्यूटिकल्स के निर्यात में वृद्धि के बावजूद, कमजोर बाहरी मांग और जीवाश्म ईंधनों के अधिक आयात बिल के कारण भारत का चालू खाता नकारात्मक बना हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया का तीसरा बड़ा एनर्जी खपत वाला देश भारत लगातार जीवाश्म और गैर-जीवाश्म ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ा रहा है, जिससे देश के आर्थिक विकास को सहारा मिले.
रिपोर्ट में लगाए गए अनुमान के अनुसार, इस साल के अंत तक महंगाई दर 4 प्रतिशत हो जाएगी. इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में कमी करने की शुरुआत कर सकता है.
यूएनसीटीएडी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6 प्रतिशत और महंगाई दर 4 प्रतिशत के आसपास स्थिर रह सकती है. वैश्विक एजेंसी की ओर से पिछले साल भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.
यूएनसीटीएडी की यह रिपोर्ट आईएमएफ की रिपोर्ट के बाद आई है, जिसमें कहा गया है कि भारत निवेश और निजी उपभोग के बल पर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है.
कुछ दिनों पहले जारी एशिया-प्रशांत के लिए आईएमएफ के रीजनल इकोनॉमिक आउटलुक में कहा गया है कि 2024 और 2025 में एशिया में विकास दर धीमी होने की उम्मीद है.
इससे पहले आईएमएफ ने 2 अक्टूबर को जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक में कहा था कि भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 25 और वित्त वर्ष 26 में क्रमश: 7 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है.
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एबीएस/एबीएम
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