नई दिल्ली, 11 नवंबर . भाजपा के मुंबई प्रदेश उपाध्यक्ष हितेश जैन ने सोमवार को से बातचीत में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे के बयान और देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेताओं के न जाने पर प्रतिक्रिया दी.
आदित्य ठाकरे ने कहा है कि यह चुनाव मुख्यमंत्री बनने के लिए नहीं है और न ही मंत्री बनना चाहते हैं. यह चुनाव अस्तित्व का है.
इस पर भाजपा नेता ने कहा, “पिछले तीन महीने से हम देख रहे हैं महा विकास अघाड़ी में ये लोग एक दूसरे के कपड़े फाड़ रहे हैं. शिवसेना (यूबीटी) का जो नेतृत्व है इसे कांग्रेस, शरद पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी (एसपी) स्वीकार नहीं कर रही है. शरद पवार ने तो कह दिया है कि जिस पार्टी के सबसे ज्यादा विधायक जीतकर आएंगे उसी का मुख्यमंत्री होगा. महा विकास अघाड़ी में जो लड़ाई है, वह महाराष्ट्र के विकास के लिए नहीं है बल्कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस बात को लेकर हो रही है. ये लोग महाराष्ट्र के लोगों की जिंदगी बेहतर करने की बात नहीं कर रहे हैं. आदित्य ठाकरे जो बयान दे रहे हैं वह अपना कार्यकाल देखें. इसलिए, वह अस्तित्व की लड़ाई की बात कर रहे हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए लड़ाई है. इसके लिए तीनों दलों में खींचतान चल रही है. इनका सिर्फ एक ही सपना है मुख्यमंत्री की कुर्सी प्राप्त करना. इन लोगों को महाराष्ट्र के विकास और यहां की जनता से कुछ भी लेना देना नहीं है.”
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेताओं की अनुपस्थिति पर हितेष जैन ने कहा, “जस्टिस संजीव खन्ना की नियुक्ति हमें जस्टिस एच.आर. खन्ना की याद दिलाती है. वह सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज थे. आप किसी भी लॉ स्टूडेंट से पूछें या फिर किसी भी वरिष्ठ वकील से पूछें या फिर जो इस पेशे में हैं उन्हें आपातकाल के काले अध्याय की याद आती है. इस दौरान एच.आर. खन्ना ने जो फैसला दिया था, उसके बाद वरिष्ठ होने के बाद भी उन्हें चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्त नहीं किया गया था.
“वह इंदिरा गांधी और कांग्रेस का दौर था, जब कांग्रेस ने संविधान की हत्या की थी, देश में आपातकाल लगाई थी. ऐसे दौर में जस्टिस खन्ना ने जो फैसला दिया था उसे लेकर इंदिरा गांधी की सरकार ने तय किया था कि जस्टिस एच.आर. खन्ना चीफ जस्टिस नहीं बनेंगे. इसलिए आज जब जस्टिस संजीव खन्ना चीफ जस्टिस बनते हैं तो स्वाभाविक है हम जस्टिस एच.आर. खन्ना को भी याद करेंगे. नेता विपक्ष होने के नाते राहुल गांधी को जस्टिस संजीव खन्ना के शपथ समारोह में जाना चाहिए था. लेकिन लगता है कि राहुल गांधी अभी भी जस्टिस खन्ना की नियुक्ति से दुखी हैं. उन्हें आज इस शपथ समारोह में जाना चाहिए था.”
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डीकेएम/एकेजे
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