नई दिल्ली, 11 नवंबर . सर्जरी के बाद घुटने के रिहैबिलिटेशन प्रक्रिया में आईआईटी ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है. आईआईटी रोपड़ के शोधकर्ताओं ने ‘निरंतर निष्क्रिय गति’ (सीपीएम) थेरेपी को अधिक सुलभ और किफायती बनाने का समाधान ढूंढा है. इसके लिए ‘मैकेनिकल पैसिव मोशन मशीन’ विकसित की गई है. यह मशीन घुटने के रिहैबिलिटेशन में काफी सहायक है. इस नई तकनीक का पेटेंट भी कराया गया है.
इस क्षेत्र में पहले से उपलब्ध बिजली से चलने वाली पारंपरिक मोटर चालित मशीनें काफी महंगी हैं. सामान्य तौर पर पारंपरिक मशीनों से उपचार अस्पताल में दिया जाता है. जबकि, नई मशीन से रोगी अपने घर पर ही यह लाभ हासिल कर सकते हैं. आईआईटी द्वारा विकसित की गई यह मशीन पहले की मशीनों से अलग और पूरी तरह से यांत्रिक है. यह एक पिस्टन और पुली सिस्टम का उपयोग करती है, जो उपयोगकर्ता द्वारा हैंडल खींचने पर हवा को संग्रहित करती है, जिससे घुटने के रिहैबिलिटेशन में सहायता के लिए सुचारू और नियंत्रित गति संभव होती है.
यह सरल उपकरण हल्का और पोर्टेबल दोनों है. इसका डिज़ाइन प्रभावी होने के कारण इसे बिजली, बैटरी या मोटर की कोई आवश्यकता नहीं है. आईआईटी द्वारा विकसित की गई है मैकेनिकल सीपीएम मशीन, महंगी इलेक्ट्रिक मशीनों का नया विकल्प है. महंगी मशीन अभी भी कई रोगियों की पहुंच से बाहर हैं. ऐसे मरीजों के लिए यह एक आशाजनक विकल्प है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बिजली की आपूर्ति निरंतर नहीं रहती.
आईआईटी रोपड़ के मुताबिक इसके अतिरिक्त, इसकी पोर्टेबिलिटी के कारण मरीज इसे घर में आराम से उपयोग कर सकते हैं. इससे उन्हें अस्पताल में लंबे समय तक रहने और सर्जरी के बाद रिहैबिलिटेशन के लिए जाने की आवश्यकता कम हो जाती है. घुटने की सर्जरी से ठीक होने वाले रोगियों के लिए यह एक महत्वपूर्ण चिकित्सा है, जो जोड़ों की गतिशीलता में सुधार, कठोरता को कम करने और रिकवरी में तेजी लाने में मदद करती है.
इस यांत्रिक मशीन की शुरुआत लागत प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है, जो घुटने के रिहैबिलिटेशन में किफायती स्वास्थ्य सेवा के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस अभिनव उपकरण का विकसित किया जाना सभी लोगों को स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां संसाधन सीमित हैं. टीम की उपलब्धि से भारत और वैश्विक स्तर पर भी घुटने के रिहैबिलिटेशन के मामलों में स्थायी प्रभाव देखने को मिल सकता है.
रिसर्च करने वाली टीम के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. अभिषेक तिवारी का कहना है, “ये उपकरण भारत में घुटने के रिहैबिलिटेशन में क्रांति लाने की क्षमता रखता है, अभी इस क्षेत्र में उन्नत चिकित्सा तकनीक तक हमारी पहुंच सीमित है. इसे कम लागत वाला, टिकाऊ बनाया गया है, जो न केवल रिकवरी में सहायता करता है बल्कि मोटर चालित उपकरणों से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में भी मदद करता है.”
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जीसीबी/एबीएम
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