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फिलीपींस के दो समुद्री कानून लागू करने के पीछे राजनीतिक मंशा क्या है?

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बीजिंग, 10 नवंबर . फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड रोमुअलडेज़ मार्कोस ने तथाकथित ‘समुद्री क्षेत्र अधिनियम’ और ‘द्वीप समुद्री लेन अधिनियम’ पर हस्ताक्षर किए, जिसमें चीन के हुआनयान द्वीप और नानशा द्वीप समूह तथा संबंधित समुद्री क्षेत्रों को अवैध रूप से फिलीपींस के नौसैनिक क्षेत्रों में शामिल किया गया.

फिलीपींस का यह कदम न केवल घरेलू कानून के माध्यम से दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता मामले के अवैध फैसले को मजबूत करने का प्रयास है, बल्कि एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और विदेश नीति की पृष्ठभूमि में वर्तमान सरकार द्वारा उठाया गया एक राजनीतिक ‘गुप्त कदम’ भी है. ये दो तथाकथित कार्य दक्षिण चीन सागर में चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री अधिकारों और हितों का गंभीर उल्लंघन करते हैं, ‘दक्षिण चीन सागर से संबंधित पक्षों की कार्रवाई पर घोषणा-पत्र’ में जोर दिए गए ‘बातचीत और परामर्श के माध्यम से मतभेदों को हल करने’ के महत्वपूर्ण सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं, और अंतरराष्ट्रीय कानूनों और विनियमों की मौजूदा प्रणाली को कमजोर करते हैं, जो अवैध और अमान्य हैं.

चीन ने बहुत पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता मामले को स्वीकार नहीं करेगा या उसमें भाग नहीं लेगा या संबंधित निर्णय को मान्यता नहीं देगा. इसलिए, चीन इस निर्णय के आधार पर फिलीपींस द्वारा किए गए किसी भी दावे और कार्रवाई को स्वीकार नहीं करेगा, और दक्षिण चीन सागर में चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता, समुद्री अधिकार और हितों पर किसी भी तरह से असर नहीं पड़ेगा.

दक्षिण चीन सागर शांति, मित्रता और सहयोग का सागर होना चाहिए. हालांकि, फिलीपींस की कार्रवाई क्षेत्र के लोगों की आम आकांक्षाओं के खिलाफ है और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा बन गई है.

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

एबीएम/

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