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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सराहनीय : मोहम्मद अदीब

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नई दिल्ली, 14 नवंबर . सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुलडोजर कार्रवाई को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब ने इसे ऐतिहासिक और न्यायपूर्ण फैसला बताया है. साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘बंटोगे तो कटोगे’ वाले बयान की भी कड़ी आलोचना की.

बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देर आए, दुरुस्त आए बताते हुए मोहम्मद अदीब ने कहा, “यह तारीखी फैसला है और हम समझते हैं कि जो कानून कहता है, जो इंसानियत कहती है, सुप्रीम कोर्ट ने सही किया है. यह एक जरूरी फैसला था, क्योंकि समाज में यह सवाल उठ रहा था कि जब तक लोग लूटे जा रहे थे, तब तक कोर्ट खामोश क्यों था. यह फैसला दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं में अब भी गरीबों और मजलूमों को इंसाफ मिल सकता है.”

अदीब ने इस फैसले के आधे पहलू पर सवाल उठाते हुए कहा कि आधी जीत तो हो गई, लेकिन जिनकी दुनिया बर्बाद हो गई, जो सड़कों पर आ गए, उनका क्या होगा? क्या उन मजलूमों को कोई मुआवजा मिलेगा? उन्होंने कहा कि अदालत को इस पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए था और उन लोगों की मदद करनी चाहिए थी जिनकी जिंदगी इन बुलडोजर कार्रवाइयों की वजह से तबाह हो गई. उन लोगों को अब शायद अदालतों में फिर से जाना पड़ेगा और यह भी देखना होगा कि क्या वे इस स्थिति में हैं कि अपनी खोई हुई संपत्ति या अधिकारों को फिर से पा सकें.

सीएम योगी के ‘बंटोगे तो कटोगे’ वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा, “जिस आदमी की सोच ऐसी हो, वही ऐसे बयान देता है.” सीएम योगी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह खुद एक विवादित व्यक्ति हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने खिलाफ चल रहे क्रिमिनल केस को वापस ले लिया था, जबकि दूसरों के खिलाफ वह ऐसे आरोप लगाते हैं. उन्होंने कहा, “यह आदमी खुद हत्या के प्रयास जैसे गंभीर मामलों में फंसा हुआ था और मुख्यमंत्री बनने के बाद अपने खिलाफ मुकदमे खत्म करवा दिए. ऐसे व्यक्ति से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं? ऐसे बयान केवल चुनावी लाभ के लिए दिए जाते हैं, और ऐसे जुमले भारतीय राजनीति को और ज्यादा गहरे संकट में डालते हैं.”

अदीब ने योगी आदित्यनाथ के बयान को देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए “दाग” करार दिया और कहा कि “हमारी जम्हूरियत पर ऐसे बयान एक दाग की तरह हैं.” इस प्रकार के बयान केवल राजनीतिक फायदे के लिए दिए जाते हैं और इससे समाज में और अधिक नफरत और हिंसा फैलती है. यह बेहद अफसोस की बात है कि ऐसे बयान दिए जा रहे हैं. इस तरह के बयान देश के संविधान और उसकी लोकतांत्रिक संस्थाओं की अवमानना करते हैं.

उन्होंने चेतावनी दी कि इस प्रकार के बयान भारतीय राजनीति के लिए लंबे समय तक नासमझी और क्षति का कारण बनेंगे. यह समय है कि हम अपनी ‘आईडिया ऑफ इंडिया’ को फिर से संजीवनी देने की कोशिश करें. इसके लिए हमें सांप्रदायिक और हिंसात्मक बयानबाजी से दूर रहना होगा और देश की एकता और अखंडता के लिए काम करना होगा.

पीएसके/एकेजे

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