मुंबई, 5 नवंबर . भारतीय जनता पार्टी के नेता और भारत सरकार में पूर्व मंत्री सत्यपाल सिंह ने महाराष्ट्र में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या पर दुख जताया. साथ ही उन्होंने पिछले दो वर्षों में महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आने पर राज्य सरकार की तारीफ की.
से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जहां कानून व्यवस्था सही नहीं होती, वहां कोई भी संस्थान, निवेशक, या उद्योग स्थापित नहीं होता. पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक विदेशी निवेश महाराष्ट्र में आया है. तीसरे साल में भी देश के कुल निवेश का 52 प्रतिशत महाराष्ट्र में आया है. उन्होंने कहा, बाबा सिद्दीकी की हत्या एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, मैं उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. लेकिन सिर्फ एक घटना के आधार पर यह कहना कि मुंबई की कानून व्यवस्था खराब हो गई है या महाराष्ट्र में कोई गड़बड़ी हो गई है, सही नहीं है. मुंबई शहर में अगर किसी सड़क पर कोई दुर्घटना होती है, तो क्या हम कहेंगे कि पूरी सड़क खराब हो गई है या असुरक्षित हो गई है? इसी तरह, यदि किसी को धमकी मिलती है, तो इसका मतलब यह नहीं कि पूरी कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है. महाराष्ट्र में जो सुधार किए गए हैं, वह पहले से बेहतर स्थिति में हैं. महायुति सरकार ने इसे और बेहतर बनाने के लिए बीस हजार लोगों की भर्ती की है. साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेंटर के लिए साढ़े 800 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. राज्य में लगभग 70 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. मुंबई में 5000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे पहले ही लगाए जा चुके हैं, और अन्य बड़े शहरों में भी इन्हें लगाया जा रहा है. महायुति सरकार राज्य की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है.”
महाराष्ट्र की डीजीपी रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर पर उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारी पहली महिला डीजीपी को विपक्षी दलों के आरोपों के कारण ट्रांसफर किया गया. चुनाव आयोग ने आरोपों पर गौर करते हुए उनका ट्रांसफर किया, और महायुति सरकार ने उन्हें अनिवार्य अवकाश पर भेजा. मैं चुनाव आयोग का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने विपक्षी दलों के आरोपों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया. यह दर्शाता है कि चुनाव आयोग ने सुनिश्चित किया कि चुनाव निष्पक्ष और शांतिपूर्ण हों, और हर दल को समान अवसर मिले. मैं उम्मीद करता हूं कि चुनाव परिणाम के बाद विपक्षी दल, जैसे उन्होंने पहले हरियाणा में लगाया था, अब चुनाव आयोग पर आरोप नहीं लगाएंगे, न ही ईवीएम मशीनों को दोषी ठहराएंगे.”
इसके बाद उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) नेता सुनील राउत द्वारा एक महिला के खिलाफ अपमानजनक भाषा इस्तेमाल करने पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, “यह उनकी खुद की संस्कृति और आदतों का परिणाम है. हमें किसी महिला, खासकर एक नेत्री जो चुनाव लड़ रही है, के खिलाफ इस प्रकार की भाषा का उपयोग नहीं करना चाहिए. यह विपक्षी नेताओं की निराशा और हताशा का परिचायक है. उन्हें लगता है कि उनका उम्मीदवार नहीं जीत पाएगा, इसलिए उन्होंने इस तरह की भाषा का सहारा लिया. मुझे लगता है कि यह बेहद निचले स्तर की बात है और इस स्तर पर उतरने की कोई आवश्यकता नहीं है.”
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