कानपुर, 9 नवंबर . कानपुर में खाद की कमी के चलते किसानों के सामने समस्या खड़ी हो गई है. किसान खाद के लिए घंटों लंबी कतार में अपनी बारी का इंतजार करते हैं कि खाद मिलेगी.
लेकिन, घंटों लाइन में रहने के बावजूद भी खाद नहीं मिल रही है. कानपुर देहात के कई सहकारी समितियों पर खाद नहीं मिलने से किसान परेशान हैं. वहीं, दूसरी तरफ संबंधित अधिकारी यह कह रहे हैं कि खाद की कमी नहीं है. किसानों को खाद दी जा रही है. हालांकि, किसानों की यह लंबी लाइन व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है.
खाद को लेकर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक वीडियो शेयर कर प्रदेश की भाजपा सरकार पर तंज कसा है. अखिलेश यादव ने कहा कि ये 8 साल पहले लगी नोटबंदी की लाइन नहीं है. कल की तस्वीरें हैं जहां किसान और उनके परिवार वाले खाद पाने की उम्मीद में लाइन लगाकर बैठे हैं. भाजपा, पहले तो केवल बोरी में चोरी करती थी, अब तो बोरी ही चोरी हो गयी है. ऊंचे दामों में खाद भाजपा के गोदामों में बिक रही है.
बताया गया है कि कानपुर देहात के रसूलाबाद तहसील क्षेत्र और अकबरपुर तहसील क्षेत्र में स्थित साधन सहकारी समितियों पर डीएपी व एनपीके खाद उपलब्ध नहीं है. जिससे आलू व लाही बुवाई की तैयारी में लगे किसान भटकने को मजबूर हैं. रसूलाबाद कस्बे के अलावा पहाड़ीपुर, भवनपुर, उसरी कहिंजरी आदि सहकारी समितियों पर डीएपी व एनपीके खाद उपलब्ध नहीं है तो वहीं अकबरपुर तहसील क्षेत्र में रूरा, अकबरपुर, बारा समेत गांवों में सहकारी समितियों पर डीएपी व एनपीके खाद को लेकर मारामारी है और यही वजह है कि किसान परेशान हैं.
खाद लेने आए विकास ने बताया कि खाद लेने के लिए आए थे, लेकिन खाद नहीं मिली है.
रेशु यादव ने कहा कि मैं यहां पर सुबह 8 बजे खाद लेने के लिए आया था. मेरा आधार कार्ड भी जमा करा लिया गया. लेकिन, मुझे खाद नहीं मिली. लेकिन, दूसरे लोगों को मिल रही थी. अब कहा जा रहा है कि खाद दो दिन बाद मिलेगी. तीन-चार दिन से खाद के लिए आ रहे हैं.
श्रीपाल ने बताया खाद लेने के लिए आए थे. बहुत भीड़ है. खाद की कमी है और लोगों की संख्या ज्यादा है, खाद ब्लैक में बिक्री हो रही है.
एक अन्य किसान ने बताया कि 400 बोरी खाद आई है. लेकिन, लेने वाले करीब 600 लोग हैं ऐसे में सभी को खाद कैसे मिलेगी.
कानपुर देहात के जिला कृषि अधिकारी उमेश गुप्ता ने बताया है कि खाद की कमी नहीं है. लेकिन, समस्या इसलिए पैदा हो रही है क्योंकि, किसान डीएपी खाद की मांग ही कर रहे हैं. जबकि, जितना डीएपी जनपद को चाहिए था, उससे थोड़ा कम प्राप्त हुआ है. जिन किसानों को एनपीके खाद के बारे में जानकारी नहीं है, वही परेशान हो रहे हैं. 300 मेट्रिक टन डीएपी है. जिसमें से 110 मेट्रिक टन सात समितियों में भेजा गया है.
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डीकेएम/जीकेटी
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