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अक्टूबर में 20 प्रतिशत महंगी हुई घर पर पकाई जाने वाली वेज थाली, सब्जियों की कीमतों ने बढ़ाया दाम

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नई दिल्ली, 6 नवंबर . बीते महीने सब्जियों की बढ़ी हुई कीमतों की वजह से शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की लागत में उछाल दर्ज हुआ है. बुधवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर महीने में सब्जियों की कीमतों ने शाकाहारी और मांसाहारी थालियों की लागत बढ़ा दी है. घर में पकाई गई शाकाहारी थाली की कीमत में सालाना आधार पर 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मांसाहारी थाली की कीमत में 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस वृद्धि का मुख्य कारण सब्जियों की ऊंची कीमतें हैं, जो शाकाहारी थाली की लागत का 40 प्रतिशत तक होती हैं.

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स के निदेशक (शोध) पुशन शर्मा ने कहा, “टमाटर, आलू और प्याज सभी की कीमतों में अलग-अलग कारणों से तेज वृद्धि हुई है. प्रमुख उत्पादक राज्यों में सितंबर में ज्यादा बारिश के कारण खरीफ प्याज की आवक में देरी हुई. मजबूत त्योहारी मांग के बीच टमाटर की फसल को नुकसान हुआ और आलू के कोल्ड स्टोरेज स्टॉक के घटने से कीमतों में तेजी आई.”

अक्टूबर में प्याज और आलू की कीमतें क्रमशः 46 प्रतिशत और 51 प्रतिशत बढ़ गई, क्योंकि सितम्बर में लगातार बारिश के कारण आवक कम हो गई थी.

रिपोर्ट में कहा गया है, “हमें उम्मीद है कि नवंबर में टमाटर की कीमतें स्थिर हो जाएंगी. मंडियों में खरीफ की आवक के साथ प्याज की कीमतें भी कम होनी चाहिए. हालांकि, आलू की कीमतों में नरमी आने में थोड़ा और समय लग सकता है.”

नॉन-वेज थाली की कीमत, जिसमें लगातार 12 महीनों से वार्षिक गिरावट दर्ज की गई थी, उसमें भी 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे वेज थाली के साथ इसका अंतर समाप्त हो गया.

मांसाहारी थाली के लिए, ब्रॉयलर की कीमतों में पिछले वर्ष की तुलना में 9 प्रतिशत की अनुमानित गिरावट आई है, जो कि लागत का 50 प्रतिशत है, जिससे अपेक्षाकृत धीमी वृद्धि हुई है, जबकि सब्जियों की कीमतों में, जो कि लागत का लगभग 22 प्रतिशत है, वृद्धि देखी गई.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नॉन-वेज थाली के लिए, महीने के दौरान ब्रॉयलर की कीमतों में स्थिरता के अनुमान ने लागत में और बढ़ोतरी को रोकने में मदद की. घर पर थाली तैयार करने की औसत लागत की गणना उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत में प्रचलित इनपुट कीमतों के आधार पर की जाती है.

एसकेटी/जीकेटी

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