नई दिल्ली, 8 नवंबर . भारत और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं का संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘ऑस्ट्राहिंद’ शुक्रवार को शुरू हो गया. इसके दौरान आतंकवादी हमलों का मुहतोड़ जवाब देने का अभ्यास होगा. भारत और ऑस्ट्रेलिया के फौजी छापेमारी, तलाशी और दुश्मन का विनाश करने का संयुक्त अभ्यास करेंगे. आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान हेलीपैड सुरक्षित करना और ड्रोन का इस्तेमाल भी शामिल होगा.
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि संयुक्त सैन्य अभ्यास ऑस्ट्राहिंद का तीसरा संस्करण शुक्रवार को महाराष्ट्र के पुणे में विदेशी प्रशिक्षण नोड में शुरू हुआ. यह 21 नवंबर तक चलेगा. दोनों देशों के बीच वार्षिक ऑस्ट्राहिंद अभ्यास बारी-बारी से भारत और ऑस्ट्रेलिया आयोजित किया जाता है. इसका पिछला संस्करण दिसंबर 2023 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था.
भारत-ऑस्ट्रेलिया के इस संयुक्त सैन्य अभ्यास के दौरान जो ड्रिल्स की जानी हैं उनमें एक निर्दिष्ट क्षेत्र पर कब्जा करने के आतंकवादी कृत्य का जवाब देना भी शामिल है. इसके अलावा दोनों देशों की सेनाएं मिलकर एक संयुक्त परिचालन केंद्र की स्थापना करेंगी. इस दौरान काउंटर टेररिज्म एक्शन के तहत छापेमारी, तलाशी और दुश्मन का विनाश जैसे संयुक्त अभियान चलाए जाएंगे. दोनों देशों की सेनाएं हमले की स्थिति में हेलीपैड सुरक्षित करने, ड्रोन का उपयोग और ड्रोन रोधी उपाय करने आदि ऑपरेशनों में शामिल होंगी.
इस सैन्य अभ्यास में 140 कर्मियों की भारतीय सेना की टुकड़ी हिस्सा ले रही है. इस सैन्य टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से डोगरा रेजिमेंट की एक बटालियन और भारतीय वायु सेना के 14 कर्मियों द्वारा किया जा रहा है. इस अभ्यास में 120 ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों का दल शामिल है. ऑस्ट्रेलियाई सेना का प्रतिनिधित्व द्वितीय डिवीजन की 10वीं ब्रिगेड की 13वीं लाइट हॉर्स रेजिमेंट द्वारा किया जा रहा है.
ऑस्ट्राहिंद अभ्यास का उद्देश्य अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्रों में अर्ध-शहरी वातावरण में अंतर-संचालन के जरिए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना है. यह सैन्य अभ्यास उच्च स्तरीय शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना और संयुक्त सामरिक अभ्यास पर केंद्रित होगा. अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया जाएगा. पहला चरण युद्ध की तैयारी और सामरिक प्रशिक्षण से संबंधित होगा और दूसरा सत्यापन चरण होगा.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ऑस्ट्राहिंद अभ्यास दोनों पक्षों को रणनीतिक संचालन रणनीतियों, तकनीकों और प्रक्रियाओं में अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बनाएगी. इस अभ्यास से दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच सौहार्द विकसित करने में भी मदद मिलेगी.
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जीसीबी/एकेजे
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