नई दिल्ली, 2 नवंबर : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि विश्व व्यवस्था में भारत की मौजूदगी प्रतिस्पर्धा को आकर्षित कर रही है, देश जैसे-जैसे अग्रणी शक्ति बनेगा यह और बढ़ेगी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मित्रता अब ‘एक्सक्लूसिव’ नहीं रह गई है, खासकर उभरते बहुध्रुवीय विश्व में.
जयशंकर ने नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन के अवसर पर कहा, “दोस्ती भी ‘एक्सक्लूसिव’ नहीं होती, खासकर बहुध्रुवीय विश्व में. यह उम्मीद की जा सकती है कि दूसरे, यहां तक कि दोस्त भी, हमारे विकल्पों को सीमित करते हुए अपने ऑप्शन बनाए रखने की कोशिश करेंगे.”
विदेश मंत्री ने स्वीकार किया कि मित्रता भी कुछ प्रतिबंधों के बिना नहीं हो सकती और अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ संबंध बनाना, उनकी गतिविधियों और हितों के व्यापक दायरे को देखते हुए, अपने आप में एक चुनौती है.
जयशंकर ने कहा, “कुछ दोस्त दूसरों की तुलना में ज्यादा जटिल भी हो सकते हैं. हो सकता है कि वे हमेशा, आपसी सम्मान की संस्कृति या कूटनीतिक शिष्टाचार के समान मूल्यों को साझा न करें. संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता हमेशा भागीदारों के मूल्यांकन में एक कारक होगी.”
जयशंकर ने कहा कि भारत स्वयं को ‘विश्वामित्र’ के रूप में स्थापित कर रहा है, इसलिए वह अधिक से अधिक देशों के साथ मित्रता करना चाहता है, जिससे सद्भावना और सकारात्मकता पैदा होगी. यह वैश्विक भलाई के लिए हमारे बढ़ते योगदान और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ हमारे घनिष्ठ जुड़ाव से जाहिर होता है.
विदेश मंत्री ने पिछले 10 वर्षों में कई प्रमुख साझेदार देशों के साथ रिश्तों में बदलाव लाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दी.
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एमके/
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