नई दिल्ली, 13 नवंबर . क्या आप भी मीठा कम खाने पर जोर देने की कोशिश कर रहे हैं मगर यह कामयाब नहीं हो पा रहा है, तो यह खबर आपके लिए है. वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने अब पाया है कि एक आनुवंशिक उत्परिवर्तन (जेनेटिक म्यूटेशन) लोगों को चीनी का सेवन कम करने में सक्षम बना सकता है.
ब्रिटेन में नॉटिंघम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए इस शोध में डेनमार्क, ग्रीनलैंड, इटली और स्पेन के शोधकर्ताओं ने हिस्सा लिया. उन्होंने एक जीन का पता लगाया जिसे सुक्रेज-आइसोमाल्टोज (एसआई) जीन कहते हैं जो लोगों में मीठा खाने की लालसा को कम कर सकता है.
हालांकि चीनी से प्राप्त अतिरिक्त कैलोरी मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज का एक सबसे बड़ा कारण है, लेकिन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित नए निष्कर्षों से एसआई जीन को टारगेट करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है, जिससे लोगों को चीनी से दूरी बनाने में मदद मिल सकती है.
शोध से पता चला कि एसआई जीन के बिना लोगों को मीठा खाना पचाने में कठिनाई हो सकती है, जिससे वह इससे दूरी बना सकते हैं. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह जीन इरिटेबल बाउल सिंड्रोम नामक एक कॉमन फंक्शनल डिसऑर्डर से भी जुड़ा हुआ है.
नॉटिंघम विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन में ग्रुप लीडर डॉ. पीटर एल्डिस ने कहा, “हमारे शोध से पता चलता है कि आहार सुक्रोज को पचाने की हमारी क्षमता में आनुवंशिक भिन्नता न केवल इस बात को प्रभावित कर सकती है कि हम कितना सुक्रोज खाते हैं, बल्कि यह भी कि हम मीठा खाना कितना पसंद करते हैं.”
टीम ने सबसे पहले चूहों पर यह प्रयोग किया. उन्होंने एसआई जीन के बिना चूहों में आहार व्यवहार की जांच की और पाया कि ऐसे चूहों में सुक्रोज के सेवन और पसंद में तेजी से कमी आई.
मनुष्यों में परिणामों की पुष्टि करने के लिए, टीम ने ग्रीनलैंड के 6,000 व्यक्तियों और यूके के 134,766 व्यक्तियों पर एक अध्ययन किया.
–
एमकेएस/केआर
The post first appeared on .
You may also like
Udaipur बीच सड़क पर युवक ने होमगार्ड जवान की पिटाई की
स्टेट बैंक, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक घरेलू प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण बैंकों की सूची में शामिल
जींद : आसमान में छाई गहरी धुंध, कम दृश्यता के चलते वाहन चालकों को हुई परेशानी
धूमधाम से मना श्री मां कात्यानी मंदिर का वार्षिक महोत्सव
आईपीएल 2025 से पहले पार्थिव पटेल गुजरात टाइटन्स के सहायक और बल्लेबाजी कोच बने