नई दिल्ली, 5 नवंबर . वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच टकराव जारी है. इस बीच जेपीसी की मंगलवार को हुई बैठक में दाऊदी बोहरा समुदाय ने अपने आप को वक्फ बोर्ड के दायरे से बाहर रखने की मांग कर दी.
अंजुमन-ए-शियाअतअली दाऊदी बोहरा समुदाय की तरफ से वरिष्ठ एडवोकेट हरीश साल्वे ने मंगलवार को जेपीसी की बैठक में दाऊदी बोहरा समुदाय की विशिष्टता का हवाला देते हुए इस समुदाय को वक्फ बोर्ड के दायरे से बाहर रखे जाने की मांग की.
साल्वे ने दाऊदी बोहरा समुदाय की विशिष्टता को मान्यता देने के सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड की शक्तियां इस समुदाय के बुनियादी अधिकार को कमजोर करती हैं. साल्वे और अन्य प्रतिनिधियों ने दाऊदी बोहरा समुदाय की धार्मिक मान्यताओं और समुदाय के नेता से जुड़ी शक्तियों का हवाला देते हुए जेपीसी की बैठक में पुरजोर तरीके से यह तर्क रखा कि वक्फ बोर्ड को इस समुदाय की संपत्तियों और इनके मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इसलिए, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में दाऊदी बोहरा समुदाय की इबादत वाली जमीनों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए और इसके प्रबंधन का अधिकार समुदाय के पास ही रहना चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 में भी दाऊदी बोहरा समुदाय की विशिष्टता का ख्याल नहीं रखा गया है. जेपीसी की मंगलवार को हुई बैठक में अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद, अन्वेषक और छात्र एवं मदरसा सेल के प्रतिनिधियों के अलावा एएमयू अलीगढ़ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद हनीफ अहमद ने भी वक्फ संशोधन विधेयक पर अपना-अपना पक्ष रखा.
सूत्रों के मुताबिक, इन संगठनों ने भी कुछ सुझावों और बदलावों की मांग के साथ मोटे तौर पर विधेयक का समर्थन ही किया.
हालांकि, वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 को लेकर बनाई गई जेपीसी की बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसदों के बीच लगातार जारी तकरार मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तक भी पहुंच गई. जेपीसी में शामिल कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, आप और सपा के विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल के व्यवहार की शिकायत की.
विपक्षी सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान यह आरोप लगाया कि जेपीसी के चेयरमैन मनमाने तरीके से बैठकें बुला रहे हैं और ऐसे लोगों एवं संगठनों को पक्ष रखने का मौका दिया जा रहा है जो इस मामले के स्टेकहोल्डर्स ही नहीं हैं. विपक्षी सांसदों का यह भी आरोप है कि एक तरफ ऐसे लोगों और संगठनों को लगातार बोलने का मौका दिया जा रहा है, जिनका वक्फ से कोई लेना-देना नहीं है, दूसरी तरफ विपक्षी सांसदों को तैयारी करने और बोलने का उचित मौका नहीं दिया जा रहा है.
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एसटीपी/एबीएम
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