वाराणसी,14 नवंबर . काशी की परंपरानुसार उदयागामी भगवान भास्कर का अभिवादन करता ‘नमो घाट’ का नमस्ते स्कल्पचर पर्यटकों को लुभा रहा है. सुबह सूर्य की सिंदूरी किरणें काशी के अर्धचंद्राकार घाटों की छटा में चार चांद लगाती हैं. ऐसे ही सुबह-ए-बनारस की अलौकिक दृश्य को देखने के लिए दुनिया से पर्यटक काशी खिंचे चले आते हैं.
सुबह-ए-बनारस का दिव्य और भव्य नजारे का लुत्फ अब पर्यटक विश्व स्तरीय सुविधाओं वाले खूबसूरत नमो घाट से भी ले सकेंगे. आस्था, पर्यटन और रोजगार के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं वाला नमो घाट बन कर तैयार हो गया है. उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का 15 नवंबर को नमो घाट का औपचारिक उद्घाटन करना प्रस्तावित है. इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी भी मौजूद रहेंगे.
प्राचीनता और आधुनिकता के साथ तालमेल मिलाकर चलती काशी के घाटों की श्रृंखला में एक और पक्का घाट जुड़ गया है. यह वाराणसी के पहले मॉडल घाट के रूप में जुड़ा है. इसका विस्तार नमो घाट से आदिकेशव घाट (लगभग 1.5 किलोमीटर) हुआ है. घाट की बनावट और अंतरराष्ट्रीय सुविधा के साथ नमस्ते का स्कल्पचर पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है. जल, थल और नभ से जुड़ने वाले यह पहला घाट होगा, जहां हेलीकॉप्टर भी उतारा जा सकता है. यहां फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन, ओपन एयर थियेटर, कुंड, फ्लोटिंग जेटी पर बाथिंग कुंड और चेंजिंग रूम का भी निर्माण हुआ है. योग स्थल, वाटर स्पोर्ट्स, चिल्ड्रन प्ले एरिया, कैफेटेरिया के अलावा कई अन्य सुविधाएं हैं. यह वाराणसी का पहला घाट है, जो दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाया गया है. नमो घाट का पुनर्निर्माण दो फेजों में किया गया है. इसका निर्माण 81000 स्क्वायर मीटर में 91.06 करोड़ से किया गया है. इस परियोजना को स्मार्ट सिटी मिशन और इंडियन ऑयल फाउंडेशन द्वारा मिल कर वित्तपोषित किया गया है.
डबल इंजन सरकार ने पक्का नमो घाट बनवाया है, जहां वर्ल्ड क्लास सुविधाएं होंगी. सूर्य का अभिवादन करता हुआ स्कल्पचर नमो घाट की नई पहचान बन गई है.
वाराणसी के मंडलायुक्त और स्मार्ट सिटी के अध्यक्ष कौशल राज शर्मा ने बताया कि नमो घाट के पुनर्विकास में ‘मेक इन इंडिया’ का विशेष ध्यान दिया गया है. इस घाट पर ‘वोकल फॉर लोकल’ भी दिखेगा. भविष्य में लोग यहां वाटर एडवेंचर स्पोर्ट्स और हेली टूरिज्म का भी लुफ्त ले सकेंगे. सेहतमंद रहने के लिए मॉर्निंग वॉक, व्यायाम और योग कर सकेंगे. दिव्यांगजन और बुजुर्गों के लिए मां गंगा के चरणों तक रैंप बना है.
ओपेन थियेटर, लाइब्रेरी, लाउंज, बाथिंग कुंड, बनारसी खान-पान के लिए फ़ूड कोर्ट और मल्टीपर्पज़ प्लेटफार्म है. यहां हेलीकाप्टर उतरने के साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन व क्राउड मैनेजमेंट में भी काम आ सकता है. जेटी से बोट द्वारा श्री काशी विश्वनाथ धाम और गंगा आरती देखने जा सकेंगे. गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सीएनजी से चलने वाली नाव के लिए देश का पहला फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन भी नमो घाट पर बना है. इसके अलावा अन्य गाड़ियों के लिए भी यहां अलग से सीएनजी स्टेशन है. नमो घाट से क्रूज के जरिए पास के अन्य शहरों का भ्रमण किया जा सकता है.
मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा ने बताया कि फेज वन में बने बड़े नमस्ते स्कल्पचर की ऊंचाई करीब 25 फीट और छोटे की 15 फुट है, जबकि फेज टू में मेटल का बना नमस्ते स्कल्प्चर करीब 75 फ़ीट ऊंचा है. यह भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में अमृत महोत्सव में लगवाया गया है. इस नमो नमः स्कल्पचर की वजह से इसका नाम, ‘नमो घाट’ पड़ गया है. नमो घाट पर खास कुंड बना है. घाट के किनारे हरियाली के लिए और मिट्टी का कटान न हो, इसके लिए पौधरोपण किया गया है. आस्था की डुबकी लगाने के लिए अन्य घाटों की तरह पक्का घाट बना है. यहां सीढ़ियों के साथ ही रैंप भी बनाया गया है. यहां बाथिंग जेटी भी लगाई गई है. उन्होंने बताया कि गेबियन और रेटेशन वाल से घाट तैयार किया गया है, इससे ये बाढ़ में सुरक्षित रहेगा. ये देखने में पुराने घाटों की तरह ही है. नमो घाट तक गाड़ियां जा सकती हैं. घाट पर ही वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था है.
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एसके/सीबबीटी
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