नई दिल्ली, 3 नवंबर . देश की राजधानी दिल्ली के कालकाजी विधानसभा क्षेत्र के गिरी नगर इलाके में पिछले 25 वर्षों से छठ पूजा का आयोजन हो रहा है. यहां हजारों श्रद्धालु, खासकर बिहार और पूर्वांचल से आने वाले लोग इस पर्व को मनाने के लिए जुटते हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि वह अपने गांव नहीं जा पाते, इसलिए दिल्ली में कृत्रिम छठ घाट बनाकर पूजा करते हैं. यमुना नदी में प्रदूषण इतना है कि वहां खड़ा होना तो दूर, उसके किनारे 10 मिनट से ज्यादा ठहरना भी संभव नहीं है. इसलिए लोग अपने इलाके में कृत्रिम घाट बनाकर पूजा करते हैं, यहीं व्रती सूर्य को अर्घ्य देती हैं.
कालकाजी से ही आतिशी विधायक हैं, जिनके हाथों में अब दिल्ली की कमान भी है. यही वजह है कि यहां रहने वाले लोगों ने सीएम आतिशी से गुहार लगाई है. उनसे निवेदन किया है कि वे यमुना नदी की सफाई में सहयोग करें ताकि अगली बार छठ पर्व यमुना के किनारे मनाया जा सके.
पार्षद रह चुके कविंदर सिंह ने रविवार को से कहा कि दिल्ली सरकार की यमुना नदी के प्रति उदासीनता बेहद शर्मनाक है. यमुना के सुधार के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन यह सब भ्रष्टाचार में लिपटा हुआ है. वर्तमान में 37 में से केवल 21 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट काम कर रहे हैं. पिछले 20 वर्षों से गिरी नगर में छठ पूजा का आयोजन होता आ रहा है, जब मैं निगम पार्षद था तब यहां कृत्रिम छठ घाट बनाया था. अब यहां करीब 5 से 6 हजार लोग ही पूजा करने आते हैं.
दिल्ली सरकार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने स्वर्गीय शीला दीक्षित का नाम लिया, जिन्होंने दिल्ली में विकास का मार्ग प्रशस्त किया. उन्होंने कहा कि छठ घाट के निर्माण के लिए मदद मिलनी शुरू हुई थी, लेकिन आज भी पर्याप्त सहायता नहीं मिल रही है.
नितेश कौशिक ने कहा कि यह त्यौहार मुख्यतः नदी के किनारे मनाया जाता है, लेकिन जब पानी साफ नहीं होता, तो श्रद्धालुओं को मुश्किल होती है. उन्होंने मुख्यमंत्री आतिशी को उनका वादा याद दिलाया. बोले, उन्होंने यमुना को साफ करने का वादा किया था अब निवेदन है कि उसे पूरा करें.
अरुण कुमार सिंह ने कहा कि छठ पूर्वांचल और बिहार के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यमुना के प्रदूषण के कारण ही वे कृत्रिम घाट का उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि यमुना की सफाई की जाए ताकि अगली बार छठ वहीं मनाया जा सके.
राम बदन सिंह ने बताया कि यमुना के प्रदूषण के कारण लोग अब अपने घरों के पास ही पूजा कर रहे हैं. पहले लोग यमुना जाते थे, लेकिन अब प्रदूषण के कारण वहां जाना बंद कर दिया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार से थोड़ी बहुत मदद मिलती है, लेकिन अधिकतर काम स्थानीय लोगों आपसी समझ से पूरा होता है.
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पीएसके/केआर
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