झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तुलना ‘चूहों’ से की और बीजेपी और आरएसएस पर चुनावी फायदे के लिए राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश करने का आरोप लगाया। साहिबगंज जिले के भोगनाडीह में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सोरेन ने दावा किया कि बीजेपी हिंदू और मुस्लिम समुदाय में द्वेष के बीज बो रही है। उन्होंने विशेष तौर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की इसमें संलिप्तता होने का दावा किया।
रांची से ऑनलाइन माध्यम से भोगनाडीह जनसभा को संबोधित करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा, ‘‘आरएसएस चूहों की तरह राज्य में घुसपैठ कर इसे बर्बाद कर रहा है। जब आप उन्हें गांवों में ‘हंडिया’ और ‘दारू’ के साथ दाखिल होते देखें तो उनका पीछा कर खदेड़ दें...वे चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक अशांति और तनाव पैदा करना चाहते हैं।’’ सोरेन ने आरोप लगाया कि बीजेपी समुदायों के बीच नफरत को बढ़ावा देने पर आमादा है। उन्होंने मंदिरों और मस्जिदों में मांस फेंकने जैसी भड़काऊ घटनाओं में वृद्धि की आशंका जताई।
ये डेमोग्राफी खराब करने और बांग्लादेशी घुसपैठिए की बात करेंगे। मैं उनको कहना चाहूंगा कि जाकर भारत सरकार का आंकड़ा निकाल कर देख लें कि कौन से जिला, कौन से राज्य में, किस तरह से आंकड़ों में बदलाव हुआ है।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 25, 2024
जहां लोग एक साथ अमन चैन से रहते हैं वह इनको अच्छा नहीं लगता है। जहां-जहां… pic.twitter.com/5MbXO0m3zM
सोरेन ने बीजेपी को कारोबारियों और उद्योगपतियों की पार्टी करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि वह अपने एजेंडे के लिए राजनीतिक नेताओं की खरीद कर रही है। उनका स्पष्ट संदर्भ झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन द्वारा हाल में बीजेपी में शामिल होने को लेकर था। चंपई ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) पर ‘सम्मान नहीं देने और अपमानित करने’ का आरोप लगाकर बीजेपी का दामन थाम लिया था।
मुख्यमंत्री ने झारखंड की जनसांख्यिकी में बदलाव के बीजेपी के आरोपों को भी खारिज कर दिया। उन्होंने आलोचकों को सलाह दी कि उन्हें पड़ोसी पश्चिम बंगाल की जनसांख्यिकी को देखना चाहिए। सोरेन ने असम के मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए झारखंड में उनकी ऐसे समय उपस्थिति पर सवाल उठाया जब उनके अपने राज्य में आदिवासी कई अत्याचारों का सामना कर रहे हैं।
झारखण्ड के कुछ नेताओं को भाजपा ने खरीद लिया है। इनका काम ही है नेताओं को खरीदों और उनका दुरुप्रयोग करो।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 25, 2024
हिंदू, मुस्लिम सिख, ईसाई की बातें अब शुरू होगी। गांव-गांव में ये यही सब करेंगे। कई मन्दिर-मस्जिदों में ये असामाजिक तत्वों के जरिए साजिश रचने की कोशिश करेंगे। याद रखियेगा जो… pic.twitter.com/6vkKXo7RTE
उन्होंने कहा, ‘‘वे जनसांख्यिकी बदलाव और बांग्लादेशी घुसपैठियों की बात कर रहे हैं। मैं उनसे कहना चाहूंगा कि वे केंद्र के आंकड़ों को देखें कि किस जिले और किस राज्य में यह बदला है। वे ऐसे स्थान को देखना नहीं चाहते जहां पर लोग शांति और सौहार्द्र से रहते हैं। वे अपनी राजनीतिक योजना बनाते हैं और भड़काने की साजिश रचते हैं। आपको उनकी पहचान करने की जरूरत है और उन्हें उनकी औकात दिखाने की जरूरत है।’’
जनता के कल्याण के लिए जेएमएम सरकार द्वारा किए गए विभिन्न विकास कार्यों पर प्रकाश डालते हुए सोरेन ने कहा कि पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने राज्य में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को केवल 600 करोड़ रुपये दिये थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार ने ‘बैंक क्रेटिड लिंकेज’ के जरिये चार साल में 10 हजार करोड़ रुपये दिये ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर हो सकें।’’
आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम का इस वर्ष के कार्यक्रम का आज समापन हो रहा है। इसकी शुरुआत हमने 2021 में भगवान बिरसा मुंडा की वीर भूमि उलिहातु से की थी और आज इस वर्ष इसका समापन सिदो-कान्हू, फूलो झानो और चांद भैरव की वीर भूमि से हो रहा है।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 25, 2024
आपका आशीर्वाद हमें विरोधियों… pic.twitter.com/NRPToS3ygJ
हेमंत सोरेन ने कहा, ‘‘इस साल आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम आज समाप्त हो रहा है। हमने इसकी शुरुआत 2021 में भगवान बिरसा मुंडा की धरती उलीहातू से की थी और आज हम इसका समापन सिद्धो-कान्हू, फूलो झानो और चांद भैरव की धरती से कर रहे हैं।’’ सोरेन ने कहा, ‘‘आपका आशीर्वाद हमें हमारे विरोधियों से लड़ने की ताकत देता है। बीजेपी ने हमारे कार्यों को बाधित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।
सोरेन ने कहा कि हाल में बीजेपी शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री इस राज्य में आए हैं। असम के मुख्यमंत्री झारखंड में हैं। उन्होंने असम में हमारे राज्य के आदिवासियों को जनजाति का दर्जा नहीं दिया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे आदिवासी भाई-बहनों को वहां उनका अधिकार नहीं दिया जा रहा है। उन्हें भूखे मरने के लिए छोड़ दिया गया है। आप बताएं, झारखंड के आदिवासी परिवारों को क्यों उनका अधिकार नहीं दिया जा रहा है? क्यों हमें आदिवासी धार्मिक संहिता नहीं दिया जा रहा?’’
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