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झारखंड में BJP का एकमात्र चुनावी मुद्दा ध्रुवीकरण और सांप्रदायिकता का वायरस फैलानाः कांग्रेस

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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के घोषणापत्र से यह साफ हो गया है कि उसके चुनाव अभियान का एक मात्र मुद्दा ‘ध्रुवीकरण करना और सांप्रदायिकता का वायरस फैलाना’ है। कांग्रेस नेता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, जिन्होंने आज घोषणापत्र जारी किया, और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा की भाषा यह स्पष्ट करती है कि बीजेपी चुनाव के दौरान केवल ‘कट्टरता के प्रसार, पूर्वाग्रह और धर्म के नाम पर नफरत भड़काने’ पर निर्भर रहेगी।

झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। रमेश ने यह भी कहा कि बीजेपी जाति जनगणना और राज्य के विकास को सुनिश्चित करने की केंद्र सरकार की जिम्मेदारियों के मुद्दे पर ‘चुप’ है। कांग्रेस नेता ने अपने पोस्ट में कहा, ‘‘आज झारखंड के लिए जारी घोषणापत्र से यह स्पष्ट है कि बीजेपी के पास चुनाव अभियान के लिए केवल एक मुद्दा है- ध्रुवीकरण और सांप्रदायिक का वायरस फैलाना।’’

उन्होंने कहा, ‘‘घोषणापत्र जारी करने वाले केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के चुनाव अभियान के प्रभारी असम के मुख्यमंत्री की भाषा पूरी तरह स्पष्ट करती है कि बीजेपी के पास जेएमएम-कांग्रेस नीत राज्य सरकार की बेहद लोकप्रिय और प्रभावशाली योजनाओं का कोई जवाब नहीं है।’’ इससे पहले, एक अन्य पोस्ट में रमेश ने कहा कि बीजेपी को जनता से वोट मांगने से पहले लंबित कोयला ‘रॉयल्टी’ के रूप में झारखंड को 1.36 लाख करोड़ रुपये जारी करने में देरी का हिसाब देना चाहिए।

उन्होंने दावा किया कि झारखंड में कोयला खदानें कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनियों द्वारा संचालित की जाती हैं, जिन पर राज्य सरकार की भारी रकम बकाया है। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘भूमि मुआवजे का भुगतान न करने के लिए 1,01,142 करोड़ रुपये, ‘सामान्य कारण बकाया’ मद के तहत 32,000 करोड़ रुपये और ‘धुले कोयले की रॉयल्टी’ मद के तहत 2,500 करोड़ रुपये का बकाया है।’’

उन्होंने बीजेपी की झारखंड इकाई पर सवाल उठाते हुए पूछा कि वह राज्य के लिए धन आवंटन सुनिश्चित करने में क्यों विफल रही और प्रधानमंत्री चुप क्यों हैं। रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘‘नॉन बायलॉजिकल’ प्रधानमंत्री इन निधियों को जारी करने में क्यों विफल रहे हैं? क्या झामुमो-कांग्रेस गठबंधन को वोट देने के कारण झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है? राज्य भाजपा नेतृत्व झारखंड के लिए कोई धनराशि सुनिश्चित करने में असमर्थ क्यों है?’’

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