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अगर देश को खतरा है तो BJP-RSS से है, यही लोग सुबह से शाम तक बांटने-काटने की बात कहते हैंः खड़गे

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महाराष्ट्र चुनाव के लिए एमवीए का घोषणापत्र जारी करने के बाद मुंबई में आयोजित 'संविधान बचाओ सम्मेलन' में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी आजकल नए-नए नारे दे रही है। मैं बस पूछना चाहता हूं कि क्या देश में खतरा है? अगर देश को खतरा है तो वो बीजेपी-आरएसएस से है। क्योंकि यही लोग सुबह से शाम तक बांटने-काटने की बात कहते हैं। हमने तो हमेशा देश को एक रखने की कोशिश की। देश को एक रखने के लिए ही इंदिरा गांधी जी शहीद हो गईं।

खड़गे ने कहा कि आजकल कई नेता साधुओं के वेश में रहते हैं और अब राजनेता बन गए हैं। कुछ तो मुख्यमंत्री भी बन गए हैं। वे 'गेरुआ' कपड़े पहनते हैं और उनके सिर पर बाल नहीं हैं...मैं बीजेपी से कहूंगा कि या तो सफेद कपड़े पहनें या अगर आप संन्यासी हैं और 'गेरुआ' कपड़े पहनते हैं, तो राजनीति से बाहर निकल जाएं। एक तरफ आप 'गेरुआ' कपड़े पहनते हैं और दूसरी तरफ आप कहते हैं 'बटोगे तो कटोगे'...वे लोगों के बीच नफरत फैला रहे हैं और उन्हें बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि नरेंद्र मोदी जहां सरकार नहीं बना पाते हैं, वहां नेताओं के पीछे ईडी, सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों को लगाते हैं। नेताओं पर तरह-तरह के आरोप लगाते हैं और जेल में डालते हैं। लेकिन आप कब तक लोगों को जांच एजेंसियों के नाम पर डराएंगे, कितने लोगों को जेल में डालेंगे। जब तक हम एक हैं, संविधान की रक्षा करते रहेंगे।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नरेंद्र मोदी 400 पार का नाम लेकर लोगों को डराते थे। लेकिन अब खुद की सरकार अल्पमत में है। इसीलिए कभी भी अहंकार नहीं करना चाहिए। पुराने समय में सरकार का मुखिया विपक्ष के नेताओं से मिलता था, बातचीत करता था। लेकिन आज तो नरेंद्र मोदी विपक्षी नेताओं को छोड़िए, प्रेस के लोगों से भी नहीं मिलते।

खड़गे ने कहा कि बीजेपी लोगों को धर्म के नाम पर बांटती है। ये लोग महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं, लेकिन कोई महिला आरएसए चीफ नहीं बनी। ये लोग महिलाओं को वोटिंग का हक नहीं देना चाहते थे, लेकिन हमने संविधान में समान अधिकार देकर भेदभाव को मिटाया। इसलिए आप चुनावों में अपने वोट का सही इस्तेमाल करें, ताकि देश और संविधान को मजबूती मिले।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि वे कहते हैं कि राहुल गांधी नक्सली हैं और शहरी-नक्सलवाद को बढ़ावा देते हैं। वे यह भी कहते हैं कि लाल किताब के अंदर कुछ भी नहीं लिखा है और इस किताब के सभी पन्ने खाली हैं... 2017 में, वही लाल किताब पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेंट की गई थी, तो क्या मुझे भी कहना चाहिए कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम मोदी नक्सली हैं या शहरी-नक्सली हैं।

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