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हरियाणा चुनाव: जुलाना में सिर चढ़कर बोल रहा विनेश फोगाट का जादू, पक्ष हो या विपक्ष हर तरफ चर्चा के केंद्र में हैं विनेश

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हरियाणा की पॉलिटिकल राजधानी जींद और जींद जिले का विधानसभा क्षेत्र जुलाना। जुलाना कभी इतना चर्चा में नहीं रहा। एक गुमनाम सा विधानसभा क्षेत्र अचानक चर्चा के केंद्र में आ गया है। इसकी वजह है खेल की दुनिया का सितारा रेसलर विनेश फोगाट जुलाना से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में है। इससे भी अधिक है ताकतवर सत्ता के खिलाफ विनेश फोगाट का संघर्ष का प्रतीक बन कर उभरना। ऐसी शख्सियतों को भारत की जनता ने हमेशा अपने सिर-माथे पर बैठाया है। यही दिख रहा है जुलाना में।

जींद जिले का जुलाना विधानसभा क्षेत्र एक खास जगह बन गया है। हरियाणा के बाहर और हरियाणा के अंदर हर कोई यह जानना चाह रहा है कि कुश्ती की दुनिया में धाक जमाने वाली विनेश फोगाट राजनीति के दंगल में किस तरह अपने विरोधी को चित करती हैं। वह कितने मार्जिन से चुनाव फतह करती हैं। जुलाना में पक्ष हो या विपक्ष सभी की चर्चा का विषय विनेश फोगाट हैं। वह जुलाना की बहु भी हैं। जुलाना के बख्ता खेड़ा गांव में उनकी ससुराल है। जुलाना में सभी के पास कुछ खास अपने-अपने आंकड़े हैं, जिनके आधार पर वह बेहद बारीक सियासी गुणा-भाग तक किए बैठे हैं। शर्त के साथ वह जीत का मार्जिन भी निकाले बैठे हैं। यहां का चुनाव और सियासी मिजाज बड़ा दिलचस्प है, जो पहले कभी नहीं रहा। जुलाना में कांग्रेस के मुख्य कार्यालय में लोगों का मेला है। हालात ऐेसे हैं कि सुबह से शाम तक यहां पैर रखने की जगह नहीं होती। गहमागहमी इतनी है कि किसी के पास बात करने की भी फुर्सत नहीं है। कार्यालय के बाहर हमारी मुलाकात होती है मनदीप राठी से। पूरा सवाल पूछे बिना ही वह बोल पड़ते हैं कि जुलाना इस बार रिकार्ड बनाएगा। जुलाना के मुख्य बाजार में सबसे पहले हमारी मुलाकात होती है मार्केट एसोशिएशन के एक अहम सदस्य से। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर उन्होंने जुलाना का पूरा गणित समझा दिया। वह कहते हैं विनेश फोगाट को अतिआत्मविश्वास से बचना होगा। फिर वह अपनी आंकड़ों की पोटली खोलते हैं। पहले तो वह समझाते हैं कि यह पूरा चुनाव जाति के आधार पर है। वह कहते हैं कि जुलाना में तकरीबन 1 लाख 8 हजार जाट वोट हैं। 90,000 के करीब गैर जाट वोट हैं।

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अगर जुलाना में 70 फीसदी मतदान होता है तो तकरीबन 80,000 पोलिंग जाटों की होगी। इसमें से करीब 15000 इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल), 5000 जेजेपी ( जन नायक जनता पार्टी) व तकरीबन 2500 वोट आम आदमी पार्टी को जा सकते हैं। वह मानते हैं कि गैर जाट में 10 फीसदी वोट विनेश फोगाट को मिलेंगे। यदि इसमें वोटिंग का प्रतिशत 10 फीसदी और बढ़ गया तो विनेश की अच्छे मार्जिन से जीत होगी। नहीं तो चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच बेहद क्लोज है। हार-जीत का अंतर बेहद कम रहने वाला है। दिलचस्प यह है कि उन्हीं के करियाना स्टोर में काम करने वाले दीपक वहीं उनकी बात को काट देते हैं। वह कहते हैं कि इस सरकार ने हर वर्ग के सिर में लट्ठ मारे हैं। इसका जवाब देने के लिए सभी चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। फिर वह विनेश की खूबियां गिनाते हैं। यह सिर्फ एक उदाहरण है। ऐसे दिलचस्प आंकड़े और बहस पूरे जुलाना के बाजार में है।

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कुछ आगे चलने पर एक बर्तन भंडार के मालिक विजेंदर लाठर मिल जाते हैं। वह बताते हैं हमारे लाठर गोत्र के 8 गांव हैं। सभी वोट विनेश के पक्ष में जाने वाले हैं। बीजेपी प्रत्याशी कैप्टन योगेश बैरागी के बाहरी होने को भी वह यहां बड़ा मुद्दा मानते हैं। वह कहते हैं कि यहां चुनाव में सबसे बड़ा सवाल खिलाड़ियों के प्रति केंद्र व राज्य की सरकार की ओर से किया गया अन्याय है। फिर मार्केट एसो. अध्यक्ष राजेंद्र तायल के भाई एक करियाना स्टोर के मालिक सुशील तायल से मुलाकात होती है। वह कहते हैं कि 2019 विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार गैर जाट जातियों में बटवारा अधिक है। जो झुकाव पहले बीजेपी की तरफ होता था वह इस बार नहीं है। उदाहरण के तौर पर बनिया और पंजाबी समाज का नाम वह लेते हैं। मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है। वह यह मानते हैं कि चुनाव पूरी तरह जातियों के बीच बट गया है। मुद्दे गौण हो गए हैं। हार्डवेयर शॉप के मालिक सुरेश पन्नू का कहना था कि माहौल विनेश के पक्ष में है। वहीं, दलित समाज के सुशील धानक दावा करते हैं कि कांग्रेस और बीजेपी के बीच दलितों के मतों का बटवारा 60:40 के अनुपात में होगा। जुलाना विधानसभा के गांव लजवाना कलां में लोग दावा करते हैं कि 36 बिरादरी विनेश फोगाट के साथ है। दलित समाज से आते रामकिशन दावे के समर्थन में खुद को हरिजन बिरादरी के 6 गांवों के संगठन का महासचिव बताते हैं। वह अपना गोत्र दहिया बताते हुए पूरे समाज के समर्थन का दावा करते हैं। ब्राम्हण समाज से आते सतरोल खाप के उप-प्रधान जय भगवान और जगदीश अत्री अपने समाज का 50:50 के अनुपात में कांग्रेस और बीजेपी के बीच बटवारा होने की बात कहते हैं। इन दावों के बीच विनेश फोगाट की सभाओें में उमड़ रही भारी भीड़ को भी यदि कोई संकेत मानें तो तस्वीर थोड़ी साफ होती हुई दिखती है।

image विनेश फोगाट के समर्थन में ट्रैक्टर रैली।

जुलाना विधानसभा के समीकरण और सवाल 

विनेश फोगाट अपनी सभाओं में कह रही हैं कि यह चुनाव मान-सम्मान का चुनाव है। शेष फैसला आपके हाथ है। विनेश की अपील का असर भी हो रहा है। विनेश किसानों और कर्मचारियों के खिलाफ बल प्रयोग के लिए बीजेपी सरकार को आड़े हाथों ले रही हैं। वह अपने भाषणों में कहती हैं कि अब बदला लेने और वोट की चोट करने का समय आ गया है।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव की जीत का मंत्र माने जाते जवान, पहलवान और किसान में से विनेश फोगाट के रूप में खेल की दुनिया का बड़ा चेहरा मैदान में होने से युवाओं में उनका जबर्दस्त आकर्षण है। विनेश की वजह से खिलाड़ियों का मुद्दा न सिर्फ जुलाना बल्कि आसपास के विस क्षेत्रों में भी असर दिखा रहा है। विनेश जब पहली बार जुलाना आई थीं तो उन्हें 105 गांवों के लोगों की ओर से चांदी का मुकुट पहना कर सम्मानित किया गया था।

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विनेश के मुकाबले बीजेपी ने यहां कैप्टन योगेश बैरागी, इनेलो-बसपा ने डॉ. सुरेंद्र लाठर, आम आदमी पार्टी ने डब्ल्यूडब्ल्यूई में जाने वाली पहली महिला रेसलर कविता दलाल और जेजेपी ने 2019 विधानसभा चुनाव में उसके टिकट पर यहां से जीते अमरजीत ढांडा को उतारा है। बीजेपी ने चुनाव को पूरी तरह जातीय आधार पर ले जाने की कोशिश की है। 5 पार्टियों में से 4 ने जाट समाज से प्रत्याशी उतारे हैं। विनेश, लाठर, ढांडा और कविता दलाल जाट समाज से हैं, जबकि बीजेपी के कैप्टन बैरागी अकेले गैर जाट उम्मीदवार हैं। यहां कुल वोट तकरीबन 2 लाख के आसपास हैं, जिसमें 70 फीसदी मतदाता जाट हैं। जाट वोटों में यदि बटवारा नहीं हुआ, जिसकी कोशिश बीजेपी कर रही है, तो बीजेपी के कैप्टन बैरागी चुनावी रेस से बिल्कुल बाहर हो जाएंगे। बीजेपी की 10 साल की सरकार के खिलाफ नाराजगी तो लोगों में है ही। दूसरा पहलू यह है कि यदि बीजेपी की कोशिशें सफल गईं और जाट वोटों में बटवारा हो गया तो मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा। हैरानी इस बात की है कि जुलाना से जेजेपी के सिटिंग विधायक और प्रत्याशी अमर जीत ढांडा की कोई चर्चा भी नहीं कर रहा है।

जुलाना सीट इनेलो का गढ़ रही है। 1967 से यहां चुनाव हो रहे हैं। 2009 और 2014 में यहां इनेलो के परमेंद्र सिंह ढुल ने जीत दर्ज की थी, जो अभी कांग्रेस में हैं। 2019 में इनेलो के दो फाड़ होने के बाद बनी जेजेपी ने यहां जीत हासिल की थी। इससे पहले साल 2000 और 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह ने जीत दर्ज की थी। 15 साल से कांग्रेस यह सीट नहीं जीत पाई है। बीजेपी इस सीट पर कभी खाता भी नहीं खोल पाई है। विस्तारा एयरलाइंस में पायलट रहे बीजेपी के कैप्टन बैरागी को बाहरी का टैग भी झेलना पड़ रहा है। सफीदों का होने की वजह से लोग उन्हें बाहरी कह रहे हैं। इनेलो के सुरेंद्र लाठर 11 साल पहले कमिश्नर पद से वीआरएस लेकर राजनीति में आए हैं। बेरोजगारी, प्रापर्टी आईडी और फैमिली आईडी जैसे मुद्दे भी लोगों के बीच हैं। एक बड़ी तादाद में लोग बदलाव की बात भी कर रहे हैं। ऐसे लोग कह रहे हैं कि बीजेपी की 10 साल की सरकार के बाद अब राज्य में परिवर्तन की दरकार है। बीजेपी-जजेपी सरकार की असलियत खोलते रोहतक से जुलाना को जोड़ने वाले मुख्य हाईवे की जगह दयनीय कच्चा रास्ता भी यहां एक वर्ग में बड़ा सवाल है। लोग कह रहे हैं कि बीजेपी-जेजेपी के झगड़े का खामियाजा जुलाना के लोगों ने भुगता है। 

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