ताइपे: ताइवान इन दिनों चीन से युद्ध की तैयारियों में जुटा हुआ है। इस बीच ताइवान को अमेरिका से 100 जमीन से लॉन्च होने वाले हार्पून एंटी शिप मिसाइलों का पहला बैच मिला है। यह मिसाइल दुश्मन के जहाजों को पलक झपकते डूबा सकती है। बड़ी बात यह है कि हार्पून मिसाइल को रडार से आसानी से ट्रैक भी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह समुद्र की सतह के काफी करीब उड़ान भरती है। अमेरिका ने कई युद्धों और दूसरे सैन्य अभियानों में हार्पून मिसाइल का इस्तेमाल किया हुआ है। इसके अलावा दुनियाभर के दर्जनों देश आज भी इस मिसाइल के अलग-अलग वेरिएंट को अपनी नौसेना में शामिल किए हुए हैं। अमेरिका से 400 हार्पून मिसाइल खरीद रहा ताइवानलिबर्टी टाइम्स के अनुसार, ताइवान को हार्पून मिसाइल की पहली डिलीवरी शुक्रवार (27 सितंबर) को हुई, जिसमें उपकरण काऊशुंग बंदरगाह पर उतारे गए। मिसाइल सिस्टम का कौन सा हिस्सा पहुंचा है, इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी गई। अमेरिका ने 2020 में 400 RTM-84L-4 हार्पून ब्लॉक II मिसाइलों, चार RTM-84L-4 हार्पून ब्लॉक II मिसाइलों, 100 लॉन्चर ट्रांसपोर्टर यूनिट और 25 रडार ट्रकों की बिक्री को मंजूरी दी थी। डिलीवरी का पहला फेज 2026 में पूरा होना है, जिसमें 128 मिसाइलें शामिल होंगी, जबकि दूसरा और अंतिम फेज 2028 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। एंटी शिप मिसाइलों का नया कमांड बनाएगा ताइवानताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने पूरे पैकेज का बजट 2.24 अरब डॉलर रखा था, लेकिन मिसाइलों को रखने के लिए ठिकानों के निर्माण पर अतिरिक्त 47 करोड़ बिलियन खर्च करना पड़ा है। ताइवान की योजना तट पर लगे एंटी-शिप हार्पून और ताइवान में निर्मित ह्सिउंग फेंग मिसाइलों के लिए छह नए ठिकानों के निर्माण की है। इसके अलावा वह इन एंटी शिप मिसाइल के ठिकानों का मैनेजमेंट संभालने के लिए 2026 तक एक तटीय रक्षा कमान भी बनाने जा रहा है। यह सब चीन की बढ़ती आक्रामकता को काउंटर करने के लिए किया जाएगा। ताइवान पर दबाव बढ़ा रहा चीनचीन पिछले एक साल से ताइवान पर सैन्य दबाव बढ़ा रहा है। लगातार चीनी युद्धपोत, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान और टोही विमान ताइवानी सीमा में घुसपैठ कर रहे हैं। हालांकि, ताइवान की चेतावनी के बाद ये वापस भी लौट जा रहे हैं। इससे ताइवान को 24 घंटे अपने संसाधनों को हाई अलर्ट पर रखना पड़ रहा है। चीन का कहना है कि ताइवान उसका अभिन्न अंग है और वह किसी भी तरीके से इस द्वीप पर कब्जा कर लेगा। वहीं, ताइवान कहता है कि वह एक स्वतंत्र देश है, जिस पर चीन का कभी भी अधिकार नहीं रहा है।
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