कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को हर वर्ष भाई दूज का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 3 नवंबर यानी आज है। भाई-बहन के प्रेम के प्रतिक इस पर्व को यम-द्वितीया भी कहते हैं और इसी त्योहार के साथ पांच दिवसीय दीपोत्सव का समापन हो जाएगा। भाई दूज के दिन बहनें भाईयों को रोली और अक्षत लगाकर उनकी तरक्की और लंबी उम्र की कामना करती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस तिथि को यमुना माई ने अपने भाई यमराज को घर पर आमंत्रित किया और स्वागत सत्कार टीका लगाया था, तभी से हर वर्ष यम द्वितिया पर्व मनाया जाता है। आइए जानते हैं भाई दूज के दिन पर टीके का शुभ मुर्हूत, शुभ योग, भाई दूज का महत्व, भाई दूज कथा, भाई दूज पूजा विधि... रविवार के भाई दूज का पर्वस्वास्तिक ज्योतिष केंद्र के आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि शनिवार की रात 8 बजकर 21 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन रविवार को रात 10 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर भाई-दूज रविवार यानी आज मनाया जा रहा है। भाई दूज के टीके का शुभ मुर्हूत - दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 3 बजकर 9 मिनट तक रहेगा।कब ना लगाएं टीका - शाम 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे के बीच राहुकाल रहेगा, इसलिए इस समय टीका लगाने से बचें। भाई दूज पर शुभ योगभाई दूज पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिससे इस त्योहार का महत्व भी कई गुणा बढ़ गया है। भाई दूज के दिन 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा। इसके बाद शोभन योग शुरू हो जाएगा। इसके साथ ही लक्ष्मी नारायण योग, शश राजयोग जैसे शुभ योग भी बन रहे हैं। भाई दूज का महत्वआचार्य नागपाल ने बताया कि भाई दूज के दिन बहनें भाइयों के माथे पर रोचना कर उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। भाई के बहन के घर जाकर भोजन करने से दोनों के यहां घरों में सुख-समृद्धि आती है। वहीं बहन के सौभाग्य में वृद्धि होती है। कहा कि इस त्योहार का संबंध मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना से है। मान्यता है कि इस दिन अगर यमुना में भाई-बहन स्नान करें तो दोनों की आयु बढ़ती है और सुख-समृद्धि आती है। कहा कि स्नान नहीं कर सकते हैं तो यमुना नदी का स्मरण कर स्नान करना चाहिए। भाई दूज कथायम और यमुना दोनों भगवान सूर्य की संतान हैं। दोनों भाई बहनों में बहुत स्नेह था, लेकिन यम काम की व्यस्तता के कारण बहन से नहीं मिल पाते थे। एक दिन यमुना ही भाई के घर गईं। बहन को देखकर यम प्रसन्न हुए। उन्होंने बहन से वर मांगने को कहा, तब बहन ने कहा कि आज के दिन जो यमुना में स्नान करे उसे यमलोक न जाना पड़े। माना जाता है तभी से लोग इस दिन यमुना में स्नान करते हैं। भाई दूज पर ऐसे लगाएं टीकाउप्र संस्कृत संस्थान के पूर्व कर्मकांडी प्रशिक्षक पंडित अनिल पांडेय ने बताया कि भाई को पूर्व की ओर और बहन को पश्चिमी दिशा की ओर मुख करना चाहिए। शुभ मुहूर्त में भाई को एक आसन पर बैठाकर तिलक लगाना चाहिए। छोटे भाई को अंगूठे से और बड़े भाई को अनामिका उंगली से दीपशिखा की तरह तिलक लगाना चाहिए और नारियल को गोद में रख दें। इसके बाद उसे भोजन कराना चाहिए। भाई को बहन को यथासामर्थ्य वस्त्र, दक्षिणा देनी चाहिए। इस व्रत से भाई के बल और आयु में वृद्धि होती है और बहन को भी सुख समृद्धि मिलती है।
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