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सवाल जवाब : मंत्र जप करने का लाभ नहीं मिल रहा तो अगली बार इन चीजों का रखें विशेष ध्यान

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इसे आजमाइएशनिवार को गेहूं पिसवाकर 10% बेसन को भी उस आटे में मिला दें, घर से कलह कोसों दूर रहेगी, ऐसा बड़े बुज़ुर्ग कहते हैं। ज्ञान का पिटारायदि धन धान्य से घर परिपूर्ण हो, यदि संतान आज्ञा का पालन करती हो, यदि घर में बड़े बुज़ुर्गों की चलती हो, यदि परिवार संयुक्त हो, यदि घर के बच्चे बड़ों को पूर्ण सम्मान देते हों, यदि परिवार में सबसे राय ली जाती हो, यदि दादा-दादी को पोते पोतियों का पूर्ण सुख प्राप्त हो, यदि नीति नियम पर ही चलने की इच्छा होती हो, यदि क़ानून तोड़ने की कदापि भावना न आती हो, यदि विचार स्पष्ट और पवित्र हों, यदि घर में संतों, महात्माओं का आदर होता हो, तो यह सब कुंडली में बृहस्पति के उत्तम होने के लक्षण हैं। बात पते कीकेतु यदि छठे भाव में हों, तो व्यक्ति को जीवन में अपार ख्याति प्रदान करते हैं। ये दृढ़ निश्चयी और उदार चरित्र के स्वामी होते हैं। अपने हुनर, ज्ञान और शिक्षा से ये शीर्ष पर पहुंचते हैं और श्रेष्ठ पदों पर आसीन होते हैं। इन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में कामयाबी मिलती है, जीवन में निरंतर आर्थिक उन्नति करते रहते हैं। उच्चकोटि के सलाहकार बनने की क्षमता रखते हैं। परिस्थितियों के आकलन और विश्लेषण में ये पारंगत होते हैं। धन के अपव्यय से दूर रहते हैं। आरंभिक आर्थिक संघर्ष के कारण धन संचय/ बचत में ये गहरा यकीन करते हैं। इनका स्वास्थ्य अमूमन उत्तम रहता है। यदि कोई व्याधि इन्हें घेर भी ले, तो ये लोग शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाते हैं। लेकिन हड्डियों के टूटने पर उबरने में समय लग सकता है। भाइयों के दुलारे होते हैं। पालतू पशुओं से इन्हें बेहद लगाव होता है। पशु धन से समृद्ध हो सकते हैं। ये अरिहंत की तरह होते हैं, यानी शत्रुओं पर सदैव विजय हासिल करते हैं। वाद-विवाद में सहजता से बाजी जीत जाते हैं। जुझारू होने के कारण लोग इन्हें झगड़ालू समझने लगते हैं। इनको मानसिक समस्या बनी रहती है। माता की ओर के रिश्तेदारों या ननिहाल से भी कुछ कष्ट या क्षति की संभावना रहती है। मामा से तनाव और विवाद का योग निर्मित होता है। इनका ननिहाल में सम्मान नहीं होता। प्रश्न: मैं बहुत सालों से नित्य कई मंत्रों का जाप करता हूं, पर मुझे आज तक उसका कोई लाभ नहीं मिला है। क्या मंत्र जाप का कोई तकनीकी नियम भी है?-विजय राठी उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि फल तो सिर्फ़ कर्मों के अधीन हैं। आपके कर्म ही आपके भविष्य की दशा-दिशा तय करते हैं। रही बात मंत्रों के तकनीकी पहलुओं की, तो मंत्रों के ऋषि एवं छंद का ज्ञान न होने पर मंत्रों का फल नहीं मिलता और विनियोग न करने पर मंत्र दुर्बल हो जाते हैं, ऐसा गौतमीय तंत्र कहता है। मंत्रों को फल का दिशा-निर्देश देने की प्रक्रिया को ही विनियोग कहते हैं। विनियोग में ऋषि, छंद, देवता, बीज एवं शक्ति के साथ एक और तत्व होता है, जिसे बीजक कहते हैं। बीजक 'मंत्र शक्ति' को संतुलित रखने वाला तत्व है। इसका सर्वांग न्यास मंत्र सिद्धि का आवश्यक अंग है। प्रश्न: संपत्ति के विवाद को हल के लिए क्या दान करना चाहिए? -सांची अवस्थी उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि रविवार को गुड़ मिश्रित तिल व मेवे मिश्रित लड्‌डू का वितरण अचल संपत्ति से संबंधित विवाद के समाधान या उसे न्यून करने में सहायक होकर समृद्धि का मार्ग खोलता है। मान्यताओं के अनुसार ये दान संक्रांति पर बेहद प्रभावी सिद्ध होते हैं। प्रश्न: क्या स्वग्रही या स्वराशि का मंगल एक ही है? यह क्या है?-पूजा विश्वकर्मा उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि हां! स्वग्रही और स्वराशि एक ही स्थिति है। जन्म कुंडली में यदि मंगल मेष या वृश्चिक राशि में हों, यानी अगर मंगल के साथ 1 या 8 अंक लिखा हो, तो यह स्वग्रही या स्वराशि के मंगल कहलाते हैं। ऐसे नक्षत्र से प्रभावी लोग साहसी, दयालु, दबंग, मित्रों के परम मित्र और शत्रुओं के महाशत्रु होते हैं। स्वघर के मंगल यदि लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में हों, तो मांगलिक होते हुए भी मंगल की तीव्रता में बेहद कमी हो जाती है। यदि स्वघर के मंगल लग्न या पराक्रम भाव में हों, तो ऐसे व्यक्ति अपनी हिम्मत और साहस के लिए लंबे समय तक याद किए जाते हैं। यदि स्वग्रही मंगल पराक्रम भाव में हों, तो व्यक्ति सफल प्रशासक बनकर उच्च पद पर आसीन होता है। अगर स्वग्रही मंगल कर्म या लाभ भाव में हों, तो कुलदीपक/ दीपिका योग बनाकर कुल कुटुंब में सर्वश्रेष्ठ स्थिति प्रदान करते हैं। प्रश्न: अगर बृहस्पति कर्क में हों, तो कैसे परिणाम देते हैं? -कांति राय उत्तर: सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि यदि कर्क राशि में देवगुरु बृहस्पति आसीन हों, तो व्यक्ति शुभ कर्मों की ओर आकृष्ट होकर अगले जन्म में उत्तम कुल में जन्म लेता है। साथ ही, यदि लग्न में उच्च के चंद्रमा हों और वह किसी पापी ग्रह से दृष्ट न हों, तो व्यक्ति ज़िंदगी को बहुत अच्छी तरह जीता है और जीवन का समापन बहुत शांति एवं हर्ष के साथ होता है, ऐसा पवित्र ग्रंथों में वर्णित है।अगर, आप भी सद्गुरु स्वामी आनंदजी से अपने सवालों के जवाब जानना चाहते हैं या किसी समस्या का समाधान चाहते हैं तो अपनी जन्मतिथ‍ि, जन्म समय और जन्म स्थान के साथ अपना सवाल saddgurushri@gmail.com पर मेल कर सकते हैं। सद्‌गुरुश्री (डा. स्वामी आनंदजी)
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