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Goverdhan Puja Vidhi and Mantra : गोवर्धन संपूर्ण पूजा विधि और मंत्र

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गोवर्धन का पर्व आज देशभर में बड़ी घूमधान के साथ मनाया जा रहा है। दर साल दिवाली से ठीक अगले दिन कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि के दिन गोवर्धन का पूजन किया जाता है। गोवर्धन का पर्व भगवान कृष्ण को समर्पित है। शाम के समय गाय के गोबर से गोवर्धवन बनाकर उनकी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं गोवर्धन की पूजा की संपूर्ण विधि और मंत्र। गोवर्धन पूजा विधि (Goverdhan Puja Vidhi )1) सबसे पहले गोवर्धन को घर के मुख्य द्वार पर गोबर से लिपकर गोवर्धन भगवान की आकृती बनाई जाती है। इनके साथ ही गाय, बैल आदि की आकृतियां भी बनाई जाती हैं।2) गोवर्धन की पूजा शाम के समय की जाती है।। शाम के समय एक थाली में चावल, रोली, खीर, दूध, जल, बताशे, आदि रख लें। इसके बाद एक दीपक गोवर्धन महाराज के सामने जलाएं। 'गोवर्धन धराधार गोकुल- त्राणकारक । विष्णुबाहुकृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रदो भव ॥ मंत्र का जप करते हुए पुष्प आदि अर्पित करें।3) 'लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता। घृतं वहति यज्ञार्थे मम पापं व्यपोहतु ॥' से प्रार्थना करने के बाद अंत में भगवान की आरती करें। इसके बाद ओम नमः श्री वासुदेवाय। ओम गोवर्धनाय नमः। ओम श्री गोवर्धनाय नमः। इस मंत्र का जप करते हुए गोवर्धन महाराज को भोग लगाकर प्रसाद को सभी लोगों में बांट दें। गोवर्धन महाराज को किसका भोग लगाएं ( Goverdhan Puja Bhog )अन्नकूट (भागवत और व्रतोत्सव) - कार्तिक मास की शुक्ल की प्रतिपदा को भगवान के नैवेद्य में नित्यके नियमित पदार्थों के अतिरिक्त यथासामर्थ्य (दाल, भात, कढ़ी, साग आदि 'कच्चे'; हलवा, पूरी, खीर आदि 'पक्के'; लड्डू, पेड़े, बर्फी, जलेबी आदि 'मीठे'; केले, नारंगी, अनार, सीताफल आदि 'फल'-फूल; बैगन, मूली, साग-पात, रायते, भुजिये आदि 'सलूने' और चटनी, मुरब्बे, अचार आदि खट्टे-मीठे-चरपरे) अनेक प्रकार के पदार्थ बनाकर अर्पण करे और भगवान्‌ के भक्तोंको यथाविभाग भोजन कराकर शेष सामग्री आशार्थियों में वितरण करे।
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