सचिन शर्मा, गाजियाबाद: 1976 में नवंबर की तारीख को उस दिन के रूप में जाना जाता है, जब मेरठ की तहसील गाजियाबाद को जिला बनाने की घोषणा हुई थी। यूपी के तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर इसकी घोषणा करते हुए विश्वास जताया था कि राष्ट्रीय राजधानी से सटा होने के कारण गाजियाबाद तेजी से तरक्की करेगा। तरक्की के रास्ते पर आज गाजियाबाद कहां है और आगे कहां होगा, यह बताने के लिए एनबीटी आज से शुरू कर रहा है खास सीरीज ‘गाजियाबाद : कल, आज और कल।’ आज बात करेंगे बीते दिनों के गाजियाबाद की। गाजीउद्दीन नगर से गाजियाबाद पड़ा नामइतिहासकारों के मुताबिक, गाजियाबाद की स्थापना 1740 में मुगल सम्राट मोहम्मद शाह के वजीर गाजीउद्दीन ने की थी। तब इसे गाजीउद्दीन नगर कहा जाता था। मुगल काल में गाजियाबाद, हिंडन नदी और आसपास के क्षेत्र शाही परिवार के लिए पिकनिक स्पॉट थे। गाजीउद्दीन ने अपनी सेना के लिए यहां एक विशाल ढांचे का निर्माण कराया। इसमें 120 कमरे और इंगित मेहराबें थीं। सुरक्षा के लिए चारों ओर चार गेट बनवाए गए। ये अब दिल्ली गेट, सिहानी गेट, जवाहर गेट और डासना गेट के नाम से जाने जाते हैं। मुगल काल के बाद इस परिसर का प्रयोग रिहायश के लिए होने लगा। यहां गाजीउद्दीन का मकबरा भी है। जब इस इलाके में रेलवे ट्रैक बिछा तो गाजीउद्दीन नगर टिकट पर आने के कारण इसका नाम छोटा कर गाजियाबाद कर दिया गया। ‘अंग्रेजों से लड़ाई में लाल हो गया था हिंडन का पानी’इतिहासकार बताते हैं कि 1857 के विद्रोह का गवाह गाजियाबाद भी रहा है। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मई में हिंडन मार्ग की रखवाली कर रहे क्रांतिकारियों का सामना ब्रिटिश सेना की एक टुकड़ी से हुआ था। कहा जाता है कि इसमें इतना खून बहा था कि हिंडन नदी का पानी लाल हो गया था। अंग्रेजों को जान बचाकर भागना पड़ा था। यहां बनीं अंग्रेजों की कब्रें अब भी उस आंदोलन की गवाही देती हैं। 16 लाख थी आबादीगाजियाबाद जब जिला बना था, तब आबादी करीब 16 लाख थी, जो अब 40 लाख से ऊपर पहुंच गई है। इस दौरान इसके हिस्सों को काटकर पहले 1997 में गौतमबुद्ध नगर और 2011 में हापुड़ को नया जिला बनाया गया। गाजियाबाद को बदलता देखने वालों की जुबानी मिलता था दिल्ली पास होने का लाभवरिष्ठ पत्रकार 73 वर्षीय सुशील शर्मा बताते हैं कि कोलकाता में औद्योगिक माहौल बिगड़ने के बाद बड़ी संख्या में उद्योग गाजियाबाद आने लगे थे। उद्यमियों को दिल्ली पास होने का लाभ मिलता था। इसी से इसका इसका विस्तार शुरू हुआ। वह बताते हैं कि जीटी रोड से सटे पटेल नगर तक बाग थे। 90 के दशक तक गाजियाबाद उत्तर प्रदेश में तेजी से उभरता औद्योगिक शहर बन चुका था। इसकी संपन्नता देख यहां अपराधी और माफिया सक्रिय हो गए और अपहरण व फिरौती का खेल शुरू हो गया था। 52 पैसे में पहुंच जाते थे दिल्ली1965 से यहां रह रहे 87 वर्षीय प्रो. डॉ. जेएल रैना कहते हैं कि उन्होंने गाजियाबाद का वह समय देखा है, जब जीटी रोड पर इक्का-दुक्का वाहन दिखते थे। दिल्ली जाने के लिए घंटाघर के पास से बस मिलती थी और 52 पैसे में दिल्ली पहुंच जाते थे। इंप्रूवमेंट ट्रस्ट बाद में हो गया GDAपुराने लोग बताते हैं कि विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 1962 में इंप्रूवमेंट ट्रस्ट बनाया, जो जिला बनने के बाद गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) बन गया। पहले चरण में चारों गेटों के बाहर 17 कॉलोनियां बसी थीं।
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