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Bhopal AQI: घुटन भरे ग्रे स्तर के पार हुई एयर क्वालिटी, भोपाल में 317 AQI के साथ रेड अलर्ट, जानें हालात

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भोपाल: बुधवार को भोपाल का वायु गुणवत्ता सूचकांक 315 को पार कर गया। यह रेड लाइनिंग बहुत खराब पर था। प्रदूषण के इतने उच्च स्तर के संपर्क में लंबे समय तक रहने से गंभीर श्वसन संबंधी बीमारी हो सकती है। ग्यारस के एक दिन बाद भोपाल में वायु प्रदूषण न केवल मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में सबसे अधिक था, बल्कि दिवाली के एक दिन बाद की तुलना में 130 अंक अधिक था।विशेषज्ञों ने बताया कि साल के इस समय में वायु प्रदूषण न केवल पटाखों के कारण बढ़ता है, बल्कि ठंड से बचने के लिए लोग सड़क किनारे अलाव भी जलाते हैं। कई लोग टायर, रबर और प्लास्टिक का कचरा जलाते हैं, इसके कारण भी वातावरण जहरीला होता जा रहा है। पराली जलाने में एमपी से पंजाब को पीछे कियाइस साल सर्दी का मौसम अभी शुरू ही हुआ है। बुधवार को भोपाल में न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस के आसपास था, लेकिन प्रदूषण पहले ही शुरू हो चुका है। पराली जलाने के मामले में मध्य प्रदेश ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है। फेफड़ों पर कहर बरपाने वाली हवामौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि साल के इस समय में पंजाब और दिल्ली से हवाएं राज्य में चलती हैं, जिससे मध्य प्रदेश के शहरों का एक्यूआई 20% तक बढ़ सकता है। दूसरा कारण यह है कि प्रदूषक जमीन के करीब आ जाते हैं। सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर (एसपीएम) फेफड़ों पर कहर बरपाता है। इसमें PM2.5 सबसे ज्यादा हानिकारक है। धूल और निर्माण के कारण PM10 का स्तर बढ़ जाता है। डंपर द्वारा रेत के बादल को उड़ाते हुए देखना आम बात है जो विशाल वाहन को घेर लेता है। यही हवा हम सांस लेते हैं। बचाव के उपायशहर की हवा उसके रहने लायक होने का सबसे महत्वपूर्ण पैमाना होती है। भोपाल हमेशा से अपने साफ-सुथरे, हरे-भरे परिवेश के लिए जाना जाता था, लेकिन यह खतरनाक दर से धूसर होता जा रहा है। प्राधिकारियों को प्रदूषण फैलाने वालों पर नकेल कसकर, पराली जलाने वालों पर लगाम लगानी चाहिए। इसके साथ ही वाहनों के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र सुनिश्चित करना चाहिए। निर्माण स्थलों पर धूल रोकने वाले जाल लगाने जैसे प्रदूषण रोधी उपायों को लागू करना चाहिए।
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